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अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिये चंदा जुटाने पर शिवसेना ने उठाये सवाल

इन दिनों अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि अगले 3 साल में ये भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. लेकिन रामलला के मंदिर को लेकर जुटाए जा रहे चंदे पर शिवसेना ने सवाल उठाए हैं. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि 4 लाख स्वयंसेवक चंदे के लिए हर द्वार पर जाएंगे. ये स्वयंसेवक कौन हैं? उनकी नियुक्ति किसने की? साथ ही ये भी लिखा है कि अगर ये स्वयंसेवक चंदे के लिए राजनीतिक प्रचारक के रूप में लोगों के घर जाते हैं तो ये मंदिर के लिए खून बहानेवालों की आत्मा का अपमान होगा.

शिवसेना के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में मंदिर का भूमि पूजन भी हुआ. मंदिर का काम तेजी से चल रहा है यानी 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले तंबू में विराजमान रामलला मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. अब इस मंदिर निर्माण कार्य के लिए हर घर से चंदा इक_ा करनेवाली टोली बनाई गई है. सामना के संपादकीय में लिखा है कि 4 लाख स्वयंसेवक चंदे के लिए हर द्वार पर जाएंगे. ये स्वयंसेवक कौन हैं? उनकी नियुक्ति किसने की? मंदिर निर्माण का खर्च लगभग 300 करोड़ है.

वहीं मुख्यमंत्री योगी ने राम मंदिर निर्माण के लिए निधि की चिंता न करें, ऐसा कहा है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम का मंदिर देश की अस्मिता का मंदिर है और इसके लिए दुनिया भर के हिंदुत्ववादियों ने पहले ही खजाना खाली कर दिया है. इसलिए घर-घर जाकर दान इक_ा करने से क्या हासिल होगा? इस काम के लिए 4 लाख स्वयंसेवकों की नियुक्ति हुई होगी तो उन स्वयंसेवकों का मुख्य संगठन कौन-सा है? यह स्पष्ट हो जाएगा तो अच्छा होगा.

सामना के संपादकीय के जरिए शिवसेना ने बीजेपी पर राममंदिर को लेकर राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगाया है. सामना में लिखा है कि अयोध्या का भव्य राम मंदिर लोगों के चंदे से बनाएंगे, ऐसा कभी तय नहीं किया गया था.

राम अयोध्या के राजा थे. उनके मंदिर के लिए युद्ध हुआ. सैकड़ों कारसेवकों ने अपना खून बहाया, बलिदान दिया. उस अयोध्या के राम का मंदिर चंदे से बनाएंगे? मूलत: श्रीराम का भव्य मंदिर किसी राजनीतिक पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बन रहा, बल्कि देश की हिंदू अस्मिता की पताका लहराने के लिए बनाया जा रहा है. 4 लाख स्वयंसेवक मंदिर के चंदे के निमित्त संपर्क अभियान चलाने वाले हैं. यह संपर्क अभियान मतलब राम की आड़ में 2024 का चुनाव प्रचार है. राम के नाम का राजनीतिक प्रचार रुकना ही चाहिए.

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