साल 2014 से लेकर अब तक देश में कुल 114 कंपनियां या उनकी इकाइयां बंद हो चुकी हैं. बंद हुई कंपनियों में कार्य करने वाले करीब 16 हजार लोग प्रभावित हुए हैं. ये आंकड़े केन्द्र व प्रदेश सरकारों की कंपनियों से जुड़े हुए हैं. केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है.
लोकसभा सांसद दानिश अली ने सरकार से सवाल पूछा था कि पिछले पांच सालों में देश में कितनी कंपनियां बंद हुई हैं व इससे कितने लोग बेरोजगार हुए हैं? सरकार से इस बात की भी जानकारी मांगी गई थी कि प्रभावित लोगों की आजीविका के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं? श्रम मंत्री की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 2014 में कुल 34 कंपनियां बंद हुईं, जिनमें से 33 प्रदेश क्षेत्र की थीं व एक केन्द्र क्षेत्र से ताल्लुक रखती थी. कंपनियों के बंद होने से 4726 लोग प्रभावित हुए.
वहीं, 2015 की बात करें तो कुल 22 कंपनियां बंद हुईं. इनमें से 20 प्रदेश क्षेत्र व दो केन्द्र सरकार से जुड़ी हुई थीं. कंपनियों के बंद होने से 1852 लोग प्रभावित हुए. 2016 में 27 इकाइयां बंद हुईं व प्रभावित होने वालों की संख्या 6037 रही. 2017 में 22 कंपनियां बंद हुईं व 2740 लोग प्रभावित हुए. 2018 में आठ कंपनियों के बंद होने से 537 लोग प्रभावित हुए. वर्ष 2019 के लिए सरकार की तरफ से जनवरी से लेकर सितंबर महीने तक की जानकारी दी गई है. इस अवधि में प्रदेश क्षेत्र की एक कंपनी बंद हुई है, जिससे 45 लोग प्रभावित हुए हैं. यह भी बताया गया है 2014 के बाद सभी सालों के आंकड़े प्रॉविजनल हैं, यानि इन्हें इकट्ठा किया जा रहा है व आने वाले सालों में इनमें बढ़त भी देखने को मिल सकती है.
क्या हैं कारण
-सरकार की तरफ से दी गई जानकारी में इन कंपनियों के बंद होने के लिए वित्तीय अभाव, कच्चे माल की कमी, मांग में गिरावट, कामगारों की समस्याओं, खनन लाइसेंस के निलंबन व कोयला ब्लॉक आवंटन के रद्द होने को जिम्मेदार ठहराया गया है.
कर्मचारियों को काउसलिंग-प्रशिक्षण
-सरकार ने बताया कि प्रभावित कर्मचारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा गया है. ‘औद्योगिक टकराव अधिनियम-1947’ के तहत उनकी काउंसलिंग की व्यवस्था की गई है. कर्मचारियों को छोटी अवधि का कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वे स्वरोजगार या नयी जॉब की तरफ बढ़ सकें.