लखनऊ। सीतापुर Sitapur जिले के कुछ गांवों में कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं और अब तक कई बच्चों की जान भी जा चुकी है। इलाके में निगरानी के लिए पुलिस ड्रोन और नाइट विजन कैमरे का इस्तेमाल कर रही है इसके अलावा प्रशासन ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुत्तों को पकड़ने और मारने का काम शुरू कर दिया है। इस बीच प्रशासन पर आरोप लग रहा है कि बिना सही पहचान के ही कुत्तों को मारा जा रहा है और उनका पोस्टमॉर्टम किए बिना ही उन्हें जमीन में गाड़ दिया जा रहा है।
कुत्तों को देखते ही Sitapur पुलिस
Sitapur पुलिस इन दिनों कुत्तों को मारने में जुटी है। इन कुत्तों को बच्चों पर हमला कर उन्हें मारने का दोषी बताया जा रहा है। जहां भी कुत्तों का झुंड दिख रहा है बस उन्हें मारा जा रहा है, बिना यह पता किए कि बच्चों पर हमला करने वाले कुत्ते यही हैं या कोई और। मारे गए कुत्तों को बिना पोस्टमॉर्टम खेतों में गाड़ दिया जा रहा है। इसके बावजूद बच्चों पर हमले नहीं रुक रहे हैं। यह मान भी लिया जाए कि मार गए कुत्तों में से कोई कुत्ता ऐसा है जिसने बच्चों पर हमला किया तो पोस्टमॉर्टम न होने से उसके व्यवहार में ऐसा बदलाव क्यों आया? यह भी नहीं पता चल पाएगा।
कुत्ते ही बच्चों को मार रहे हैं?
यह भी साफ नहीं हो पाया है कि कुत्ते ही बच्चों को मार रहे हैं? गांव वाले भेड़िया या सियार के हमले की भी बात कह रहे हैं। इन सवालों के जवाब अफसरों के पास नहीं हैं। वन विभाग ने हाथ खड़े कर लिए हैं। पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस पर आ गई है। डीएम ने पांच टीमें बना दी हैं। वे बस घेर-घेरकर कुत्तों को मार रही हैं।