अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से सिखों के अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है। आलम यह है कि उन्हें सुन्नी इस्लाम अपनाने या फिर देश छोड़कर भाग जाने को मजबूर किया जा रहा है।
इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (आईएफएफआरएएस) की रिपोर्ट का कहना है, अफगानिस्तान में सदियों से रह रहे सिखों की आबादी एक जमाने में दसियों हजार थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों में कट्टरता के चलते बढ़ी धार्मिक हिंसा, हत्या, व्यवस्थागत भेदभाव और देश छोड़कर जाने के कारण समुदाय बर्बाद हो गया है। देश में अधिकांश सिख काबुल में तो कुछ गजनी और नंगरहार प्रांतों में रहते हैं।
कंधार में अज्ञात बंदूकधारी ने एक सिख को गोली मार दी थी। आईएफएफआरएएस का कहना है कि 26 मार्च 2020 को काबुल के एक गुरुद्वारे में तालिबान द्वारा समुदाय के नरसंहार के बाद से ही बड़ी संख्या में सिख भारत जा रहे हैं।
यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब कुछ दिनों पहले ही काबुल के कार्त-ए-परवान जिले में एक गुरुद्वारे में घुसे 15 से 20 आतंकवादियों ने सुरक्षाकर्मियों को बंधक बना दिया था। अफगानिस्तान में सिख अक्सर इस तरह के हमलों और हिंसा का सामना करते हैं।