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शिक्षा के साथ समाज सेवा

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

शिक्षा और समाजसेवा पृथक नहीं होते। इनको व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थान शिक्षा देते है। वह शिक्षा तभी सार्थक होती है,जब समाज को उसका लाभ मिले।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल प्रायः प्रत्येक दीक्षांत समारोह में विद्यर्थियो से समाज सेवा का आह्वान करती है। यह कोरोना संकट का समय है। अनेक संस्थाएं इसके मुकाबले में योगदान कर रही है। इसी के मद्देनजर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, अवध प्रान्त इस समय सेवा कार्य के साथ साथ व्याख्यानों की श्रृंखला आयोजित कर रहा है।

इसी कड़ी में अभाविप अवध प्रान्त के द्वारा आज कोरोना महामारी के दौरान उच्च शिक्षण संस्थान की भूमिका विषय पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय ने अपना मत व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय समाज का अंग है। इसलिए विश्वविद्यालयों को इस महामारी से बचाव के लिए समाज हित में कार्य करना चाहिए। विश्वविद्यालय ऐसा कर भी रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस दौरान एक सेनेटाईजर बनाया। जिसकी टेक्नोलॉजी का एमओयू भी साईन किया गया है।

विश्वविद्यालयों को अपना कार्य स्टूडेंट सैन्ट्रिक रखना चाहिए।लॉकडाउन में पढ़ाई का परंपरागत तरीका बाधित हुआ है। इसलिए आन लाइन क्लास संचालित किए जा रहे है। इतना ही नहीं छात्रों को ओपन एक्सेस में लाइब्रेरी की सुविधा प्रदान की जा रही है। ऑनलाइन किताब पढ़ना भी संभव हो रहा है। क्लास के अतिरिक्त रिसोर्स की सुविधा उपलब्ध हुई है। ऑनलाइन टीचिंग के स्तर को भी बढाया जा रहा है, ताकि बच्चों को पर्याप्त कंटेंट मिल सके।

उन्होंने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय इस महामारी में एक कम्युनिटी किचेन चला रहा है। जिसका अस्सी प्रतिशत भोजन सरकार की सहायता से जरुरतमंदों को प्रदान किया जा रहा है। डायल 112 के पुलिस कर्मियों को निशुल्क मानसिक सहायता भी विश्वविद्यालय के शिक्षकों के द्वारा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा यहां के छात्रावास में रुके विदेशी छात्रों को योग सिखाया जा रहा है। किसी न किसी विभाग द्वारा बेबीनार व संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देशविदेश के शिक्षक व छात्र सहभागिता कर रहे है।

इस लाइव सेशन में हजारों की संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं एवं अध्यापकों ने सहभागिता की। इस सेशन में सैकड़ों की संख्या में छात्रों प्रश्न पूछें और कुलपति ने उनका जवाब दिया। यह सेशन करीब दस हजार लोगों के द्वारा देखा जा चुका है। तथा इस सेशन की रीच पच्चीस हजार से अधिक रही है।

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