लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण झेल रहे प्रदेश के किसानों पर बे-मौसम बरसात, आंधी और ओलावृष्टि की भी प्राकृतिक मार आ पड़ी है। उसका जीवन घोर संकट में पड़ गया है। आजीविका के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे हैं। भाजपा सरकार को किसानों के हितों की परवाह नहीं है। जिलों के अधिकारी भी किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुए हैं। गेहूं और आम की फसल की हुई बरबादी का सरकार के पास कोई ब्यौरा नहीं है।
विडम्बना है कि तीन महीनों में आंधी पानी और ओले गिरने की तीन घटनाएं घट चुकी हैं। इन घटनाओं से दर्जनों मौतें हो चुकी हैं। खेत-खलिहान में गेंहू की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। आम की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है। अभी 30 अप्रैल तक मौसम की बेरूखी की भविष्यवाणी की जा रही है। ऐसे में किसान बेमौत मर जाएगा। अन्नदाता खुद दाने-दाने को मोहताज हो सकता है।
हर बार जब किसान पर आफत आती है, मुख्यमंत्री जी एक सांस में फसलों को हुए नुकसान का ब्यौरा तलब करते है और दूसरी सांस में तत्काल किसानों को मदद देने के निर्देश देते हैं। अधिकारी बिना ब्यौरा, जिले में मदद किसकी करेंगे? किसान के साथ छलावे की यह घटिया राजनीति भाजपा के चरित्र का ही हिस्सा है। भाजपा सरकार की यह संवेदनाशून्यता है, किसानों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली। मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन का नतीजा शिफर ही रहता है। भाजपा सरकार के कारण अन्नदाता की यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है।
भाजपा राज में किसानों की फसल का डयोढ़ा दाम देने, सस्ता कर्ज दिलाने, एमएसपी पर गेंहू खरीदने, किसान की आय दुगनी करने और गन्ना भुगतान में विलम्ब पर ब्याज भी देने जैसी तमाम घोषणाओं और वादों की तुकबंदी ही अब तक देखने को मिली है। किसान ठगा ही रह गया है। सरकार को कुछ करना है तो गांव-गांव में किसानों को आर्थिक मदद देने के साथ उनको खाद, बीज, कीटनाशक, बिजली-पानी में भी राहत दे। समाजवादी पार्टी की मांग है कि आकाशीय बिजली गिरने, दीवार और मकान गिरने से हुई मौतों पर प्रत्येक मृतक आश्रितों को रूपये 25-25 लाख की आर्थिक सहायता दी जाये। फसलों के हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर पर्याप्त मुआवजा दिया जाये।