हिन्दू धर्म का एक विशेष पर्व माने जाने वाले मकर संक्रांति Makar Sankranti के अवसर पर लोग सिर्फ पूजा−पाठ, स्नान या दान ही नहीं करते। बल्कि इस दिन तिल खाने और उसे दान करने का एक विशेष महत्व है। यूं तो इस दिन तिल के अतिरिक्त चावल, उड़द की दाल, मूंगफली या गुड़ आदि का भी सेवन किया जाता है परंतु तिल का एक अलग ही महत्व है। लोग अन्य कोई चीज खाएं या न खाएं, लेकिन तिल को किसी न किसी रूप में शामिल अवश्य करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस पर्व को ’’तिल संक्रांति’’ के नाम से भी पुकारा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में इस दिन तिल को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। नहीं न, तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं
Makar Sankranti के दिन
मकर संक्रांति Makar Sankranti के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति कहकर पुकारा जाता है और मकर के स्वामी शनि देव हैं। सूर्य और शनि देव भले ही पिता−पुत्र हैं लेकिन फिर भी वे आपस में बैर भाव रखते हैं। ऐसे में जब सूर्य देव शनि के घर प्रवेश करते हैं तो तिल की उपस्थिति के कारण शनि उन्हें किसी प्रकार का कष्ट नहीं देते।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि तिल शनि प्रिय वस्तु है। शनि व्यक्ति के पूर्व जन्म के पापों का प्रायश्चित करवाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर तिल का दान व उसका सेवन किया जाए तो इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और उनका कुप्रभाव कम होता है। जो लोग इस दिन तिल का सेवन व दान करते हैं, उनका राहु व शनि दोष निवारण बेहद आसानी से हो जाता है।
विष्णु की विशिष्ट कृपा
शनि देव के अतिरिक्त सृष्टि के पालनहार माने जाने वाले विष्णुजी के लिए भी तिल बेहद खास है। मान्यता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है और अगर तिल का उपयोग इस दिन किया जाए तो इससे व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। साथ ही व्यक्ति को विष्णुजी की विशेष कृपा दृष्टि भी प्राप्त होती है।