स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के अतिरिक्त सामान्य लोगों को भी हो सकती है. खेलकूद के दौरान, अभ्यास करते, दौड़ते-भागते या टहलते हुए भी यह हो सकती है. स्पोर्ट्स इंजरी के तहत हड्डी का टूटना और मांसपेशी, लिगामेंट, टेंडन में चोट लगने से उस भाग में दर्द होना शामिल है. इससे चलना-फिरना कठिन हो जाता है. इंजरी के तुरंत बाद डॉक्टरी सलाह और फिजियोथैरेपी ली जाए तो राहत मिल सकती है. स्पोर्ट्स इंजरी की कठिनाई प्राइस थैरेपी से भी दूर की जा सकती है.
कॉमन स्पोट्र्स इंजरी –
कुछ कॉमन स्पोर्ट्स इंजरी में एसीएल-पीसीएल इंजरी, टेनिस एल्बो, शोल्डर और नी इंजरी, हैमस्ट्रिंग मसल इंजरी, एंकल स्ट्रेन शामिल हैं.
ध्यान रखें: चोटिल हिस्से पर वजन न दें. बर्फ से सीधे सिकाई न करें, आईस बर्न और खून जम सकता है.
इन जांचों से पहचान –
खेलते-कूदते या दौड़ते वक्त लगी चोट में सबसे ज्यादा मांसपेशी, लिगामेंट व हड्डी के साथ मांस को जोड़ने वाले टिश्यू (टेंडन) को क्षति होती है. कुछ मामलों में हड्डी टूटने पर सर्जरी भी करते हैं. एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई कर चोट की गंभीरता जानते हैं. गंभीर मामलों में मांसपेशी में लगी चोट का पता लगाने के लिए डॉप्लर टैस्ट भी करते हैं.
कारगर थैरेपी –
प्राइस थैरेपी अंग्रेजी के शब्द (पीआरआईसीई) से बना है. फिजियोथैरेपी में पी का मतलब प्रोटेक्शन, आर (रेस्ट), आई (आईस), सी (कम्प्रेशन) व ई (एलीवेशन) है. स्पोट्र्स इंजरी में इस फॉर्मूले के आधार पर उपचार करते हैं. चोट लगने के समय मौके पर पी-प्रोटेक्शन के तहत उपचार करते हैं. आर में रोगी को तुरंत रेस्ट देते हैं. आई में चोटिल स्थान पर आईस थैरेपी देते हैं. बर्फ को कपड़े में लपेटकर सिकाई करें. सी में चोट वाले जगह को एक्सपर्ट अपने हिसाब से कम्प्रेशन (दबाकर) देते हैं जबकि ई में चोटिल स्थान पर सूजन न आए इसके लिए एलीवेशन टेक्नीक अपनाते हैं. चोट लगे पैर को हार्ट लेवल से ऊपर रखते हैं ताकि रक्तप्रवाह तेजी से न पहुंंचे. साथ ही वहां दर्द और सूजन न आए.
मसल स्ट्रेंथनिंग –
स्पोट्र्स इंजरी की वजह से चोटिल जगह की ताकत समाप्त या कम हो जाती है जिसे वापस लाने के लिए मसल स्ट्रेंथनिंग अभ्यास कराते हैं. इसमें मसल क्षमता बढ़ाने के लिए चोटिल भाग पर वजन डालकर एक्सरसाइज़ कराते हैं. कुछ दिन वर्कआउट से प्रभावित हिस्से की मांसपेशी में ताकत आ जाती है.