Breaking News

हर जिले में प्लाज्मा बैंक की तैयारी में राकसंप, तैयार कर रही सम्भावित प्लाजा डोनर डायरेक्ट्री

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इं. हरिकिशोर तिवारी ने प्रदेश के समस्त सम्बद्ध संगठनों एवं परिषद के पदाधिकारियों को एक पत्र जारी कर जिलों में कोरोना संक्रमण का शिकार होकर रिकवर हुए कार्मिकों की सम्पूर्ण जानकारी केन्द्रीय कार्यालय में प्रेषित करने के निर्देश दिए है।

परिषद अध्यक्ष तिवारी ने सोमवार को पत्र जारी कर कहा कि जिस तरह से विशेषज्ञ तीसरी लहर आने का दावा कर रहे है और दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए कार्मिकों और शिक्षकों को संसाधनों के अभाव में भारी दिक्कतों के साथ हजार की संख्या में कर्मचारी और शिक्षकों को जान गंवानी पड़ी है ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अगर वास्तव में तीसरी लहर आई तो उक्त संकलित जानकारी से बनी डायरेक्ट्री कर्मचारी, शिक्षक और उनके परिजनों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी।

परिषद अध्यक्ष तिवारी ने समस्त पदाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी के तहत हम कर्मचारियों के भी सगे संबंधी और परिवारीजन काफी संख्या में कोरोना ग्रस्त हो चुके हैं। एक हजार से अधिक संख्या में मौतें भी हुई है, जो बचे हैं उनमें संभावना बाकी है उनकी भी ड्यूटी चुनाव के बाद अब कोरोना रोकथाम में लगाई गई है। विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर आने तक स्थितियां बहुत ही गंभीर होंगी। इसमें एक बात बार-बार मेडिकल साइंस की तरफ से बताई जा रही है कि जिन्हें करोना हो चुका है उनका प्लाज्मा देने से गंभीर रोगी को राहत मिल सकती है। ऐसी स्थिति में अगर हर जनपद में एक प्लाजा बैंक स्थापित होगा तो हजारों जाने बच सकती है। ऐसे उन सहयोगी सदस्यों, कार्मिकों और उनके पारिवारीजनों का कोरोना पॉजिटिव कार्ड की फोटो कॉपी और उनके ब्लड ग्रुप की एक लिस्ट बनाकर रखने तथा उसकी एक कापी केन्द्रीय कार्यालय को भेजने के निर्देश दिए है ताकि एक डिजीटल डारेक्ट्री बना ली जाए और सभी को सुलभ करा दी जाए।

उन्होंने बताया भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने रक्त प्लाज्मा थैरेपी से कोविड-19 संक्रमित मरीजों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे चुकी है। यह भी बात गौर करने वाली है कि महामारी के केन्द्र चीन में इस विधि से इलाज में सकात्मक नतीजे आए हैं। कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के खून से कोरोना पीड़ित चार लोगों का इलाज किया जा सकता है। दरअसल जब कोई वायरस व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित करता है तो वह वायरस से होने वाली बीमारियों से उबर सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नवल विक्रम के मुताबिक यह उपचार प्रणाली इस धारणा पर काम करती है कि वे मरीज जो किसी संक्रमण से उबर जाते हैं उनके शरीर में संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। इसके बाद नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जाता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

About Samar Saleel

Check Also

शाहजहांपुर के मिर्जापुर में उमड़ी किसानों की भीड़, पुलिस ने कराया वितरण

शाहजहांपुर के मिर्जापुर स्थित साधन सहकारी समिति में गुरुवार को सुबह से ही खाद का ...