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डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार के लिए नहीं पड़ेगा भटकना: डॉ. दिनेश शर्मा  

लखनऊ। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि यूपी सरकार ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत परिवर्तन की नई श्रंखला आरंभ की है। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि  डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पडेगा। इसके लिए गुणवत्तापरक व रोजगार परक शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। पुराने पाठयक्रमों को बदला जा रहा है। शोध व नवाचार  को उच्च शिक्षा के केन्द्र में रखा गया है। राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल, न्यायमूर्ति शंभूनाथ पटेल, कुलपति कल्पलता पाण्डेय, राज्यमंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला, विधायक सुरेन्द्र सिंह, धनंजय कनौजिया पूर्व मंत्री राजधारी सिंह की उपस्थिति में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह एक विशेष अवसर होता है जब विद्यार्थी अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पडाव को पार कर चुका होता है।

वह अध्ययनशीलता के साथ अपने जीवन में शिक्षा की उच्च डिग्री को हासिल करता है।  यह ऐसा अवसर होता है जब विद्यार्थी को शिक्षा देने वाले शिक्षक के मन में भी गर्व की अनुभूति होती है तथा विद्यार्थी भी हर्ष का अनुभव करता है। उनका कहना था कि दीक्षान्त समारोह शिक्षा का अन्त नहीं है बल्कि यह प्राप्त किए गए ज्ञान के साथ नए जीवन का आरंभ है।

डा. शर्मा ने छात्र छात्राओं से कहा कि उन्होंने अभी तक जो भी शिक्षा हासिल की है उसे आज समाज को समर्पित करने का दिन है। आज यह प्रण लेने का दिन है कि आज तक जीवन में जो ज्ञान हासिल किया है उसे समाज की बेहतरी के लिए प्रयोग  किया जाएगा। आज अपने  समाज माता पिता व गुरुओं  के प्रति दायित्व का बोध  करने का भी  दिन है।   उन्होंने कहा कि  बलिया मोक्षदायिनी गंगा और तमहारिणी तमसा और सरयू की पावन जलधारा  से घिरा हुआ है। यह भ्रगु  ऋषि की तपोभूमि है जिसे कभी कभी बागी बलिया के नाम से भी पुकारा जाता है। देश का स्वर्णिम इतिहास रहा है।

बलिया क्रान्तिकारियों  व साहित्य अनुरागियों की की भूमि रही है।  प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का जब भी जिक्र होता है तो बलिया के मंगल पाण्डेय की नाम हमेशा ही गर्व के साथ लिया जाता है। इसी प्रकार आजादी के पूर्व देश को आजाद कराने की चर्चा  चित्तू पाण्डेय के जिक्र  के बिना अधूरी है। एक तरफ  यह जय प्रकाश नारायण जी और चन्द्रशेखर जी की भूमि है तो दूसरी ओर  हजारी प्रसाद द्विवेदी , डा दूधनाथ सिंह जैसे साहित्यकार भी इसी  भूमि की शान हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि  बलिया के इस  विश्वविद्यालय में  कुल 65 महाविद्यालय हैं। बलिया के विद्यार्थियों को पहले शिक्षा के लिए बाहर के जिलों में जाना पडता था पर  इस विश्वविद्यालय के बनने के बाद  अब उन्हे घर में ही गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि इस जिले में कई बार विश्वविद्यालय  स्थापित करने की कल्पना की गई तथा 2016 में शिलन्यास तो हुआ पर निर्माण नहीं हुआ। वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस क्षेत्र में  उच्च शिक्षा की संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए इस विश्वविद्यालय का निर्माण कराया। इस कडी में  विश्वविद्यालय के निर्माण  अन्य कार्यो के लिए 93 करोड की राशि मंजूर की गई है जिसमें से 15 करोड की प्रथम किश्त जारी कर दी गई है। सरकार की मंशा इसे उच्च शिक्षा के बेहतरीन केन्द्र के रूप में विकसित करने की है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस विश्वविद्यालय के आस पास जलभराव की समस्या को दूर करने  का सुझाव दिया है। इस पर कार्ययोजना बनाकर शीघ्र ही काम किया जाएगा। उन्होंने मंच से ही मंडलायुक्त को निर्देश दिया कि इस बारे में  कुलपति के साथ बैठक कर एक्शन प्लान तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि  इस विश्वविद्यालय ने कम समय में  काफी सफलताएं अर्जित की हैं।

शोध के साथ  कई वेबिनार सेमिनार व साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। दिन प्रतिदिन नए पाठयक्रमों के साथ विश्वविद्यालय आगे बढ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कम समय में खामियों को दूर किया है। मात्र चार साल में 79 राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना की गई है। यह राजकीय महाविद्यालय  सम्बन्धित क्षेत्र के विश्वविद्यालयों  द्वारा स्ववित्त पोषित आधार पर संचालित किए जाएंगे।  सरकार ने नई शिक्षा नीति के अनुरूप उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव आरंभ किए हैं। आने वाले समय में चरणबद्ध तरह से कालेजों को और अधिक स्वयत्तता प्रदान की जाएगी। पूरे प्रदेश के विश्वविद्यालयों में  ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि करीब 70 प्रतिशत पाठयक्रम  एक समान होगा तथा शेष 30 प्रतिशत स्थानीय आधार पर होगा। इससे विद्यार्थियों को   काफी लाभ होगा। वे समान रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।

शिक्षा की गुणवत्ता को सनिश्चित करने के लिए नैक का मूल्यांकन कराया जा रहा है। नई शिक्षा नीति का आधार शोध व नवाचार को प्रोत्साहन है तथा इस दिशा में सभी विश्वविद्यालयों में शोध पीठों की स्थापना कराई गई है। शोध कार्यों को  शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड कराया जा रहा है जिससे कि इसे देशभर में देखा जा सके तथा अनुसरण किया जा सके। शिक्षकों के लेक्चर भी आनलाइन उपलब्ध कराए  जा रहे हैं। प्रवेश से लेकर अंकतालिका उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को आनलाइन किया गया है। सम्बद्धता की प्रक्रिया को भी आनलाइन किया गया है।  छात्रों  के लिए रोजगारपरक स्किल डेवलेपमेन्ट के कोर्स आरंभ किए गए हैं।  अभी हाल ही में सूक्ष्म व लघु उद्यम मंत्रालय के साथ उच्च शिक्षा विभाग ने करार किया है। शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ तालमेल पर भी जोर दिया जा रहा है।  परीक्षा  प्रणाली में भी सुधार की दिशा में आगे बढ रहे हैं। मूल्यांकन की व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाने की कवायद की जा रही है। नई शिक्षा नीति के तहत सुधारों की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरह से आगे बढाया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के अन्तर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में आगे बढने की योजना है। आष्ट्रेलिया  इस दिशा में यूपी के साथ करार करने की  अभिलाषा जाहिर कर चुका है।

सरकार प्रयासरत है कि अब विद्यार्थियों को गुणवत्तापरक विश्वस्तरीय शिक्षा भारत में ही मिल सके। इसके लिए उन्हे बाहर नहीं जाना पड़े। सरकार तीन नए  राज्य विश्वविद्यालय खोलने जा रही है। इसके साथ  6 नए निजी विश्वविद्यालय भी खुलने जा रहे हैं। इसके अलावा आयुष, विधि  खेल के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय आने वाले समय मेें खुलेंगे। आने वाले समय में वैदिक संस्कृत कौशल विकास जैसे क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय खुलेंगे। प्रयास है कि वर्चुअल क्लासरूम के साथ ही ई लर्निंग की व्यवस्था  ठीक प्रकार से लागू हो। क्षेत्रीय भाषा के साथ विदेशी भाषा के अध्यापन का कार्य सभी विश्वविद्यालयों में शुरू हो सके। एक ऐसा पायलेट प्रोजेक्ट आरंभ किया जिसके तहत कुछ महाविद्यालयों के पुस्तकालय के लिए प्रीलोडेड टैब उपलब्ध कराने  हेतु वित्तीय सहायता मिले। यह योजना आंकाक्षी महाविद्यालयों में आरंभ की गई है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने परिवर्तन के जिस लक्ष्य को तय किया है उसे तीन भाग में बांटकर आगे बढ रहे हैं। सरकार का प्रयास है कि  विद्यार्थियों को गुणवत्ता एवं रोजगारपरक उच्च शिक्षा प्रदान की जा सके।  उत्तर प्रदेश सरकार ने डिजिटल लाइब्रेरी बनाई है जिसमें 79 हजार कन्टेंट अपलोड किए जा चुके हैं। इसके लिए आईआईटी खडगपुर तथा भारतीय डिजिटल लाइब्रेरी के साथ अनुबंध  किया गया है।

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