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स्वदेशी सिर्फ आन्दोलन नहीं बल्कि आमजन को स्वावलम्बी बनाने का माध्यम- रिज़वान रज़ा

लखनऊ। ‘खादी पहनो, स्वदेशी अपनाओ’ का नारा लगाते हुए गांधीवदियों ने गांधी भवन से पटेल चौक तक जागरूकता पदयात्रा निकालकर लोगों को जागरूक किया। यह अवसर था श्रीगांधी आश्रम शताब्दी के वर्ष का, 30 नवंबर 1920 को प्रख्यात गांधीवादी आचार्य जे0बी0 कृपलानी ने महात्मा गांधी कीे प्रेरणा से बनारस में श्रीगांधी आश्रम की नींव रखी थी। जिसके इस साल 100 वर्ष पूरे होने पर जागरूकता पदयात्रा निकाली गई। इस दौरान लोगों ने खादी एवं स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का संकल्प भी लिया।

सोमवार को बाराबंकी स्थित गांधी भवन में गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट एवं श्रीगांधी आश्रम शताब्दी समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक सभा आयोजित की गई। जिसके अंतर्गत सर्वप्रथम महात्मा गांधी और फिर आचार्य जे0बी0 कृपलानी के चित्र पर माल्र्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

सभा के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि खादी स्वतंत्रता का अहिंसात्मक हथियार था। अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर एक और विचारधारा देशवासियों को दी थी, जो अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आन्दोलन करते हुए विदेशी वस्त्रों और दनिक वस्तुओं का बहिष्कार कर देश में ही निर्मित वस्त्र और वस्तुओं के प्रयोग करने का था।

इसी को लेकर पूरे देश में श्रीगांधी आश्रम की स्थापना की गई। जिसके बाद गांध्वों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार- प्रसार पर बहुत जो दिया गया था। वरिष्ठ पत्रकार विजय कान्त दीक्षित ने कहा कि खादी भारत की साझा संस्कृति का प्रतीक रही है। जिसमें भारत का वास्तविक स्वरूप बसा है। गांधी आश्रम जिसमें हाथ से बुने कपड़े, मानव जीवन के आवश्यक निर्मित किए जाते है। उन उत्पादों को आपने जीपन में अपनाने का संकल्प लेना होगा। हमें आपने जीपन में स्वदेशी वस्तुओं का अधिकाधिक उपयोग करना चाहिए।

गांधीवादी राजनाथ शर्मा ने कहा कि इस शताब्दी वर्ष पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट वर्ष भर खादी पहनो, स्वदेशी अपनाओ अभियान से देश की जनता को जोड़ा जाएगा। जिसके अंतर्गत पूरे उत्तर प्रदेश के सभी मंडलों में सम्मेलन व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक शाहनवाज़ कादरी ने कहा कि खादी राष्ट्रीय आन्दोलन का एक हिस्सा था। खादी से आम व्यक्ति का जुड़ाव ही साझा संस्कृति की पहचान रही है। समिति के सह संयोजक रिज़वान रज़ा ने आए हुए अतिथि आभार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वदेशी सिर्फ आन्दोलन नहीं है, बल्कि व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाने का माध्यम है। ग्रामीण क्षेत्रों के कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने करना ही स्वदेशी आन्दोलन की अहम कड़ी है।

सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से लोकतंत्र सेनानी अनिल त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार सतीश प्रधान, क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम के मंत्री राजेश कुमार सिंह, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित, उदय नारायण सिंह, मृत्युंजय शर्मा, तेज बहादुर सिंह, आमोद कुमार सिंह, देवेन्द्र मिश्र, हुमायूं नईम खान, विनय कुमार सिंह, उमानाथ यादव, सरदार राजा सिंह, मो. अनस, संतोष शुक्ला, मनीष सिंह, अनिल यादव, भागीरथ गौतम, कारी मकबूल अहमद, मो. तौफीक अंसारी, आसिफ हुसैन, नीरज दूबे, पी.के. सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।

शाश्वय तिवारी
शाश्वत तिवारी

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