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Tag Archives: चरखा फीचर

समाज की सोच को बदलती लड़कियां

लड़कों पर नाज करने वाला समाज (society) अब लड़कियों (Girls) की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है. जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से पितृसत्तात्मक समाज की उस धारणा को ध्वस्त किया है कि महिलाएं पुरुषों से कमजोर और कम प्रतिभाशाली होती हैं. आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, ...

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लैंगिक असमानता झेलती किशोरियां

प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसे उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन समाज में लैंगिक असमानता (gender inequality) की फैली कुरीतियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है. भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में, बल्कि हर ...

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क्या महत्त्वहीन हो रहा है आंगनबाड़ी का लक्ष्य?

गर्भवती महिलाओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कुपोषण से बचाने और उन्हें स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1975 में देश भर में आंगनबाड़ी (Anganwadi) केंद्रों की स्थापना की गई थी. छोटे बच्चों को बेसिक शिक्षा प्रदान करने और गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रखने वाली ...

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अस्पताल का न होना एक समस्या!

हमारे देश में हर साल ऐसी नई योजनाएं लॉन्च होती हैं, जिनका लाभ शहर ही नहीं बल्कि दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लोगों तक भी पहुंचाया जाता है. जबकि पहले से चली आ रही लाभकारी और कल्याणकारी योजनाओं को भी बेहतर बनाने की दिशा में सरकार की तरफ से ...

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जीविका से गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका

तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है. गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम बस एक ख्याली नारा बनकर रह गया है. ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा ...

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कुदरती इलाज का माध्यम है जड़ी बूटियों से बनी दवाइयां

विज्ञान की तरक्की ने इंसानी ज़िंदगी को बहुत आसान बना दिया है. इस तरक्की का सबसे अधिक लाभ मेडिकल को हुआ है. इससे कई गंभीर बीमारियों का इलाज मुमकिन हो सका है. अगर हम शल्य चिकित्सा की बात छोड़ दें तो हज़ारों सालों से मनुष्य बीमारी को दूर करने के ...

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भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती वंदना

बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्व पटल पर अपनी पहचान रखता है. आमतौर पर लोग भोजपुरी को केवल एक भाषा के तौर पर ही जानते हैं, जबकि कला के रूप में भी इसकी एक पहचान रही है. लेकिन वर्तमान समय ...

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गांवों में लड़कियों की उच्च शिक्षा के प्रति उदासीनता

किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसके सभी नागरिक समान रूप से शिक्षित और दक्ष हों. चाहे वह शहरी क्षेत्र से हों या ग्रामीण, पुरुष हों या महिला. सभी बिना किसी भेदभाव और बाधा के सभी क्षेत्र में पारंगत हों. इसका अर्थ है कि विकास ...

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पलायन : किसी के लिए वरदान, किसी के लिए श्राप

पलायन (Migration) पर्वतीय क्षेत्रों के लिए गंभीर समस्या के रूप में उभर रही है. उत्तराखंड में रोज़गार की कमी, राज्य में पलायन का सबसे बड़ा कारण आंका गया है. जिसके कारण बड़ी संख्या में युवा राज्य से बाहर जा रहे हैं. आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार उत्तर प्रदेश के बाद ...

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स्कूल है मगर शिक्षक नहीं!

स्कूल (School) एक ऐसी जगह है, जहां पर बच्चों का सामाजिक विकास तेजी से होता है. हमउम्र बच्चों के साथ वे घुलमिलकर चीजों को बेहतर तरीके से समझते हैं. स्कूल में बच्चों के सीखने की क्षमता तेज गति से बढ़ जाती है. वह आसपास के माहौल से प्रभावित होते हैं. ...

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