वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र का अधिवेशन,-अलग-अलग तरह के लोगों ’के अधिकारों के संबंध में, विकलांगता के विषय को उजागर करने में सहायक था। इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के एजेंडे में प्रमुखता मिली, जिससे सामाजिक-आर्थिक नुकसान के कारण अशक्तता विकलांगता से ग्रस्त हो गई। विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) में दुनिया ...
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