सेक्युलर राजनीति के दावेदारों ने सामाजिक विभाजन को बढ़ाया है। इन्होंने वोटबैंक व तुष्टिकरण की राजनीति को ही धर्मनिरपेक्षता का संबोधन दिया। इसे सेक्युलर राजनीति करार दिया गया। इससे असहमति रखने वालों को साम्प्रदायिक घोषित कर दिया गया। इस कारण देश की अनेक ज्वलंत समस्याओं को नजरअंदाज किया गया। वह ...
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