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Tag Archives: भेदभाव

टीबी के खिलाफ अपनों से जंग हारता है मरीज़

साल 2015 की बात है, तब मैं छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. इसी बीच मैं खांसी-बुखार से पीड़ित हो गया. जांच के बाद पता चला कि मुझे टीबी हो गया है. यह जानकारी फैलते ही सभी बच्चे मुझसे ट्यूशन पढ़ना छोड़ दिये. मेरे पिताजी कपड़े की दुकान चलाते थे. ...

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क्यों लड़कों की तरह पढ़ नहीं सकती लड़कियां?

क्या लड़की होना पाप है? कोई गुनाह है? आखिर क्यों लड़की को यह बार-बार एहसास दिलाया जाता है कि वह एक लड़की है? लड़कियों को बचपन से ही इस तरह से ढाला जाता है कि वह सिर्फ घर के कामों के लिए ही बनी है. बाहर की दुनिया से उनका ...

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लड़कियों की शिक्षा के लिए उचित परिवेश की जरूरत

बालिका शिक्षा में निवेश से न केवल समुदाय बल्कि देश और पूरी दुनिया का नक्शा बदल सकता है. इससे बाल विवाह की संभावना कम और स्वस्थ जीवन जीने की संभावना अधिक हो जाती है. वे उच्च आय अर्जित करती हैं एवं उन निर्णयों में भाग लेती हैं जो उन्हें सबसे ...

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मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता है जरूरी

मासिक धर्म (menstruation) की शुरुआत का अर्थ है किशोरियों के जीवन का एक नया चरण. हालांकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है. लेकिन इसके बावजूद देश के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां जागरूकता के अभाव में इसे बुरा और अपवित्र समझा जाता है. इस दौरान किशोरियों को कलंक, उत्पीड़न ...

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लैंगिक असमानता झेलती किशोरियां

प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसे उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन समाज में लैंगिक असमानता (gender inequality) की फैली कुरीतियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है. भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में, बल्कि हर ...

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खेती में हक़ की लड़ाई लड़ती महिलाएं

कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जहां 80 फीसदी काम महिलाएं करती हैं. बावजूद इसके सरकार महिला किसानों को केंद्र में रखकर कोई निर्णय नहीं लेती है. यहां तक कि उन्हें महिला किसान का दर्जा भी नहीं दिया जाता है. किसान के नाम पर सिर्फ पुरुष चेहरे ही उभर कर आते ...

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जातिवाद के दंश से बेहाल समाज

आज़ादी के 75 साल बाद भी हमारे समाज में कुछ ऐसी बुराईयां मौजूद हैं जो इसकी जड़ों को खोखला करता जा रहा है. इसमें सबसे प्रमुख जातिवाद का दंश है. जिसके कारण दलित और कमज़ोर तबका प्रभावित होता है. पिछले तीन वर्षों में, यानि 2019 से 2021 के दौरान, देश ...

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सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करती जातिगत कट्टरता

राजनीतिक लाभ के लिए जातिगत ध्रुवीकरण के अलावा उपरोक्त मांग के पीछे कुछ कारक सक्रिय नजर आते हैं। इस परिदृश्य में, यह कहना गलत नहीं होगा कि सामाजिक आर्थिक समानता लाने के उद्देश्य से की गई सकारात्मक कार्रवाई सत्ता हथियाने के एक उपकरण के रूप में अधिक हो गई है। ...

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