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Tag Archives: संस्कृति सुरभि महोत्सव

तूम्हारी याद के स्याही को रो रो के मिटाते हैं, कि यानी हिज्र को जानां हम लोगो से छुपाते हैं..

मेरी गज़लें जो पढ़ते है, मुझे सायर तो वे कहतें। मगर हम तुझमें खो करके, तुम्हे गीतों में गाते हैं।। लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे संस्कृति सुरभि महोत्सव के तीसरे दिन की सुरुवात इन्ही प्रेमपूर्ण पंक्तियों के साथ हुई। इस महोत्सव के तीसरे दिन ‘बज्म-ऐ-कलम, हिंदी कविता प्रतियोगिता का आयोजन ...

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लखनऊ विश्वविद्यालय: महोत्सव के तीसरे दिन ‘बज्म-ऐ-कलम, हिंदी कविता प्रतियोगिता का आयोजन

क्यूं मेहनत कर घबराता है, क्यों आंख मिला शर्माता है। उम्मीद लगा कर दौड़ लगा, जर्रा भी फतह हो जाता है।। तू खेल कूद या शिक्षा हो, अव्वल दर्जा पहचान तो कर चल कर धमाल खुद में कमाल, हरदम मिशाल बन जाता है।। लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे “संस्कृति सुरभि” ...

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लखनऊ विश्वविद्यालय: ‘संस्कृति सुरभि महोत्सव’ के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने दिखाई प्रतिभा

लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वितीय परिसर में चल रहे ‘संस्कृति सुरभि महोत्सव’ का द्वितीय दिवस भी पहले दिन की तरह ही काफी सफल रहा। हिंदी डिबेट, इंग्लिश डिबेट, युगल नृत्य, युगल गायन, ऊँचीकूद, लम्बीकूद, मिश्रित युगल बैडमिंटन,भाला फेंक, कबड्डी, फुटबॉल, खो-खो, नुक्कड़ नाटक सहित लगभग 18 से अधिक प्रतिस्पर्धाएं शांतिपूर्ण तरीके ...

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