आधुनिक तकनीक ने दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. इस डिजिटल युग में हर एक चीज़ एक क्लिक में उपलब्ध हो जाती है. इसके बावजूद अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है कलम की ताकत. उर्दू के प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहाबादी ने बिल्कुल सही है ...
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लैंगिक असमानता झेलती किशोरियां
प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसे उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन समाज में लैंगिक असमानता (gender inequality) की फैली कुरीतियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है. भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में, बल्कि हर ...
Read More »माहवारी पर संकुचित सोच से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज
हम भले ही आधुनिक समाज की बात करते हैं, नई नई तकनीकों के आविष्कार की बातें करते हैं, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं के प्रति आज भी समाज का नजरिया बहुत ही संकुचित है. बराबरी का अधिकार देने की बात तो दूर, उसे अपनी आवाज उठाने ...
Read More »Computer की पहुंच से दूर ग्रामीण किशोरियां
वर्तमान दौर तकनीक का दौर कहलाता है. जिसमें कंप्यूटर की सबसे बड़ी भूमिका है. बिना कंप्यूटर के आधुनिक दुनिया के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती है. दुनिया में यह विशाल परिवर्तन लाने तथा दुनिया को टेक्नोलॉजी की नयी सीढ़ियों पर ले जाने के लिए कंप्यूटर का योगदान ...
Read More »स्कूल है मगर शिक्षक नहीं!
स्कूल (School) एक ऐसी जगह है, जहां पर बच्चों का सामाजिक विकास तेजी से होता है. हमउम्र बच्चों के साथ वे घुलमिलकर चीजों को बेहतर तरीके से समझते हैं. स्कूल में बच्चों के सीखने की क्षमता तेज गति से बढ़ जाती है. वह आसपास के माहौल से प्रभावित होते हैं. ...
Read More »नेटवर्क के बिना विकसित भारत की कल्पना संभव नहीं!
आजादी के बाद से देश में संचार ने नई क्रांति ला दी है, वहीं देश के कई गांवों ऐसे है जहां अभी तक फोन की घंटी तक नहीं बजी है. पूरे देश में जहां 5जी नेटवर्क (5G network) लांच की बात हो रही है वहीं पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के बागेश्वर ...
Read More »उत्तराखंड के गांवों में सड़क की जर्जर हालत, गांव के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित
आज़ादी के 75 बरस बीत चुके हैं. लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों के निवासी आज भी उन मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं जिनके बिना जीवन की कल्पना एक डरावने स्वप्न सी प्रतीत होती है. उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के गरुड़ ब्लॉक का गनीगांव और सुराग, ये ऐसे गांव हैं जहां ...
Read More »बाल विवाह: हजारों सपने टूट जाते हैं!
पहले हमारे देश में जब लड़कियों की शादी होती थी तो उनकी उम्र बारह से तेरह साल के आसपास होती थी. जिसके कारण उनमें शिक्षा और जागरूकता का अभाव था. लेकिन समय के साथ-साथ लोगों में सामान्य शिक्षा के कारण रूढ़िवादी सोच और परंपरा में कई बदलाव होने लगे. इसके ...
Read More »हर घर नल मगर जल नहीं
देश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर तक नल के माध्यम पीने के साफ़ पानी पहुंचाने की योजना देश के अन्य राज्यों के साथ साथ पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी चलाई जा रही है. उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य की जनता के लिए एक रुपये में पानी कनेक्शन योजना की शुरुआत ...
Read More »जातिवाद के दंश से बेहाल समाज
आज़ादी के 75 साल बाद भी हमारे समाज में कुछ ऐसी बुराईयां मौजूद हैं जो इसकी जड़ों को खोखला करता जा रहा है. इसमें सबसे प्रमुख जातिवाद का दंश है. जिसके कारण दलित और कमज़ोर तबका प्रभावित होता है. पिछले तीन वर्षों में, यानि 2019 से 2021 के दौरान, देश ...
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