बरखा बहार आई है बरखा बहार लाई बूदों की फूहार काली घटा उमर उमर खूब बरसे नगर नगर। काली- काली है बदली कड़क-कड़क गरजती धनघोर होके ये दखो कितनी जोर है बरसती। लबा लब हुए नदी नाले फैले चहुँ ओर हरियाली श्रृंगार कर धरती देखो चका-चक है चमकती । मेधो ...
Read More »