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Tag Archives: Bihar

ग्रामीण महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव

स्वस्थ मातृत्व और स्वस्थ शिशु ही समाज और राष्ट्र के लिए मानव संसाधन को पूरा कर सकते हैं. तभी देश का चहुंमुखी विकास संभव है. खराब पोषण और पौष्टिक आहार के अभाव में मातृत्व और बच्चों का संपूर्ण पोषण व जनन प्रभावित होता है. जिससे बच्चे कुपोषित, कमजोर, अल्पबुद्धि, रोग ...

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कांग्रेस ने स्वीकारा नीतीश कुमार का निमंत्रण, 12 जून को बैठक

कांग्रेस (Congress) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पटना में विपक्षी दलों की बैठक के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। पार्टियों की बैठक 12 जून को होनी है। इस संबंध में बंगाल कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने रविवार को जानकारी दी। 👉गत्ता फैक्ट्री में शॉर्ट ...

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समाज की सोच को बदलती लड़कियां

लड़कों पर नाज करने वाला समाज (society) अब लड़कियों (Girls) की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है. जिन्होंने अपनी मेहनत, जुनून और जज्बे से पितृसत्तात्मक समाज की उस धारणा को ध्वस्त किया है कि महिलाएं पुरुषों से कमजोर और कम प्रतिभाशाली होती हैं. आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, ...

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जीविका से गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका

तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक उबरा नहीं है. गरीबी उन्मूलन जैसे सरकारी कार्यक्रम बस एक ख्याली नारा बनकर रह गया है. ग्रामीण भारत की एक बड़ी आबादी आज भी आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. भुखमरी, कुपोषण, अशिक्षा ...

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पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल): कार्बन उत्सर्जन में गांव भी पीछे नहीं

शिवचंद्र सिंह तीन भाई हैं और तीनों किसान हैं. ये तीनों चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड एवं मूसलाधार बारिश की मार झेलकर भी धरती का सीना चीर अनाज उपजाते हैं, तब बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता है. बिहार के वैशाली जिले का एक गांव है कालापहाड़. शिवचंद्र सिंह की ...

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पीरियड लीव पर महिलाएं नहीं हैं एकमत

बीते दिनों स्पेन की संसद में पीरियड लीव (Period Leave) को अंतिम मंजूरी दी गयी. इसके साथ ही स्पेन पीरियड लीव कानून को लागू करने वाला पहला यूरोपीय देश बन गया. दुनिया के कई देशों में पहले से ही महिला कर्मचारियों को पीरियड्स लीव मिल रही है, लेकिन भारत में ...

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भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती वंदना

बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्व पटल पर अपनी पहचान रखता है. आमतौर पर लोग भोजपुरी को केवल एक भाषा के तौर पर ही जानते हैं, जबकि कला के रूप में भी इसकी एक पहचान रही है. लेकिन वर्तमान समय ...

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गांवों में लड़कियों की उच्च शिक्षा के प्रति उदासीनता

किसी भी देश के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसके सभी नागरिक समान रूप से शिक्षित और दक्ष हों. चाहे वह शहरी क्षेत्र से हों या ग्रामीण, पुरुष हों या महिला. सभी बिना किसी भेदभाव और बाधा के सभी क्षेत्र में पारंगत हों. इसका अर्थ है कि विकास ...

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माहवारी में स्कूल छूटने का दर्द!

बिहार के सरकारी स्कूलों में साफ-सफाई, स्वच्छता, शौचालय, हाथ धुलाई केंद्र, रखरखाव आदि के मद में हर साल करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे हैं. प्राइमरी से लेकर उच्चतर विद्यालयों के कैंपस को ‘ग्रीन व क्लीन’ बनाए रखने के लिए विभागीय कवायद भी जारी है. स्कूलों के छात्र-छात्राओं में स्वच्छता ...

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कौन सुनेगा श्रमिक महिलाओं का दर्द?

भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड खेती-किसानी और मजदूरी है. यदि खेती नहीं हो, तो आदमी खाएगा क्या? आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के मुताबिक कृषि में सकल घरेलू उत्पाद की हिस्सेदारी 20.2 फीसदी है. भारत की तकरीबन आधी जनसंख्या रोजगार के लिए खेती बाड़ी पर ही निर्भर है. कृषि द्वितीयक उद्योगों ...

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