ज़माने की ठोकरें हूं बहुत नर्म, लेकिन कभी पत्थर भी बना देती है ज़माने की ठोकरें। बहुत सरल, सीधा, भोला हूं मैं, लेकिन चालाक बना गई ज़माने की ठोकरें। बहुत प्यार लुटाता हूं सब पर, प्यार का खज़ाना रखता हूं दिल में, लेकिन कभी नफरत भी सिखा देती है ज़माने ...
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