आज सुबह जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो वहां सन्नाटा था। मौसम बेहद सर्द था। ठंड से हड्डियाँ कांप रही थीं। कोहरा घना होने के कारण चबूतरे से थोड़ी दूर पर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। तभी चतुरी चाचा की कड़क आवाज सुनाई दी। रिपोर्टर, अयसी मड़हम निकरि ...
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