कभी कभी सोचती हूं कि क्या सोचकर विधाता ने स्त्री की रचना की होगी? एक ऐसी कृति जिसका कोई ओर और छोर नहीं है।अनादि काल से आज तक कोई भी उसके मन की गहराई का सही सही अंदाजा नहीं लगा पाया है। पृथ्वी की उत्पत्ति और सृष्टि के निर्माण के ...
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