21वीं सदी की राजनीति काफी बदल चुकी और परिपक्त हो गई है। वोटर अब न तो नेताओं की चिकनी-चुपड़ी बातों और बहकावे में आता है, न मीडिया (उसमें भी खास कर इलेक्ट्रानिक मीडिया) पर बहुत अधिक भरोसा करता है। वह तर्को की कसौटी पर नेताओं के वादों-दावों एवं सच-झूठ का ...
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