कल रात एक बार फिर पुरानी फिल्म ‘शर्त’ के अपने एक प्रिय गीत ‘न ये चांद होगा, न तारे रहेंगे’ सुनते हुए पिछली सदी के संगीतमय के एक गीतकार शमशुल हुदा बिहारी की याद आई।50,60 और 70 के दशक में जिनके लिखे गीत हरेक की जुबान पर होते थे, आज ...
Read More »कल रात एक बार फिर पुरानी फिल्म ‘शर्त’ के अपने एक प्रिय गीत ‘न ये चांद होगा, न तारे रहेंगे’ सुनते हुए पिछली सदी के संगीतमय के एक गीतकार शमशुल हुदा बिहारी की याद आई।50,60 और 70 के दशक में जिनके लिखे गीत हरेक की जुबान पर होते थे, आज ...
Read More »