आज चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर पालथी मारे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। चबूतरे से अलाव औऱ कुर्सियां नदारद थीं। बड़के दद्दा व ककुवा भी चबूतरे पर जमे थे। मैं कुछ पूछता उसके पहले ही चतुरी चाचा बोले- आव रिपोर्टर, आजु सब जने मॉस्क लगायक चबूतरप बैठा जाई। कोराउना अब ठंडा ...
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