आज चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर पालथी मारे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। चबूतरे से अलाव औऱ कुर्सियां नदारद थीं। बड़के दद्दा व ककुवा भी चबूतरे पर जमे थे। मैं कुछ पूछता उसके पहले ही चतुरी चाचा बोले- आव रिपोर्टर, आजु सब जने मॉस्क लगायक चबूतरप बैठा जाई। कोराउना अब ठंडा पड़िगा। सारे स्कूल/कॉलेज खुलि गए। अस्पतालन मा ओपीडी शुरू होय गई। वैक्सीन देखतय कोरोउना रफूचक्कर होय गवा।
मुला, जब तलक वैक्सीन लागि न जाय, तब तलक सावधानी बरतय का परी। तभी कासिम चचा व मुंशीजी की जोड़ी चबूतरे पर आ गई। बतकही आगे बढ़ाते हुए मुंशीजी बोले-किसान आंदोलन को 82 दिन हो गए। अभी तक किसान संगठन और केंद्र सरकार अपनी जिद पर अड़े हैं। किसानों को लेकर पक्ष-विपक्ष में हाय-तौबा मची है। लोकसभा और राज्यसभा में भी खूब हंगामा हुआ। इसी बीच लद्दाख क्षेत्र में चीन के पीछे हटने की सुखद खबर मिली है। भारतीय सेना और मोदी सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है। हालांकि, कांग्रेस इस पर भी उलटी गंगा बहाने पर लगी है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को कायर तक कह डाला है।
कासिम चचा ने पंचायत चुनाव की चर्चा करते हुए कहा कि यूपी के गांवों में चुनावी घमासान शुरू हो गया है। सरकार ने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के विभिन्न पदों का आरक्षण घोषित कर दिया है। इस बार यूपी में 300 महिलाएं ब्लॉक प्रमुख और 25 महिलाएं जिला पंचायत अध्यक्ष बनेंगी। आरक्षण के दम पर तमाम महिलाएं ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्य भी बनेंगी। सबसे अहम लड़ाई प्रधान के 58194 पदों को लेकर होगी। वहीं, कुल 826 ब्लॉक प्रमुख और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए खरीद-फरोख्त होगी। कुलमिलाकर गांवों में अब राजनीति चरम पर होगी। इसमें धनबल और बाहुबल का प्रयोग होगा। ब्लॉक प्रमुख व जिला पँचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सत्ता पक्ष का भी दखल रहता है। इस बार पंचायत चुनाव में मुख्य राजनीतिक दल खुलकर सामने आएंगे।
बड़के दद्दा ने बताया कि शुक्रवार की रात उत्तर भारत के अनेक राज्यों में भूकम्प के झटके लगे। लोग घबरा कर अपने घरों से बाहर आ गए। सड़क पर आवागमन भी थम गया था। लेकिन, भूकम्प के झटके हल्के होने के कारण कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ। उधर, चमोली के तपोवन में आई जलप्रलय में मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। तकरीबन 35 से ज्यादा लोगों की मौत और करीब पौने 200 लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है। सुरंग में काम कर रहे करीब 50 मजदूरों ने सरपट दौड़ लगाकर अपनी जान बचा ली थी। परन्तु, तमाम मजदूर सुरंग में ही फंस गए। विभिन्न राज्यों से काम करने गए मजदूरों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। एक बार फिर केदारनाथ जलप्रलय की याद ताज़ा हो गई।
अब तक चुप बैठे ककुवा बोले- पत्रकार भइय्या युहु सब छोड़व। तुम अपन यात्रा वृतांत सुनाव हमका। हमार पोती उई दिनके फोटू दिखाइस रहय। जौने दिन तुम पंच गुलमर्ग मा रहव। हमरे तौ वीडियो अउ फोटू देखि कय कंपकंपी छूटि गय। सब तरफ बरफय बरफ रहय। तुम पंच उहिमा खेलित कूदित रहौ। का तुमरे सबके जाड़ नाई लगात रहय? हमने ककुवा को बताया- जम्मू इलाके में कम ठंड थी। परंतु, श्रीनगर व गुलमर्ग में बहुत ज्यादा ठंड थी। हम लोग जरूरत से ज्यादा गर्म कपड़े पहने हुए थे। उसके ऊपर लॉन्ग जॉकेट, लॉन्ग बूट, चमड़े के दस्ताने व ऊनी टोपी पहन रखी थी। सुबह और शाम ठंड का प्रकोप बढ़ जाता था। दोपहर में सूरज निकलने पर उतनी ठंड नहीं होती थी। जम्मू, कटरा, शिवखोड़ी व पटनीटॉप में यहाँ से थोड़ा ज्यादा ठंड थी। हाँ, श्रीनगर व गुलमर्ग में यहाँ से तीन गुने ज्यादा ठंड थी।
चतुरी चाचा ने शिकायती लहजे में कहा- रिपोर्टर, तुम बड़े गुप्त तरीके से यात्रा पर निकल गए थे। अपनी वैष्णो देवी यात्रा के बारे में किसी को कानोकान खबर नहीं लगने दी। हम लोगों को पहले बताते तो हम लोग भी चलते। हम लोग श्रीनगर की डलझील के हाउसबोट में बैठकर प्रपंच करते। तुम्हारी पिछली यात्रा में हम लोगों ने वृंदावन में प्रपंच किया था। वैसे तुम तो 1994 से अबतक 5-6 बार श्रीनगर घाटी की यात्रा कर चुके हो। यह बताओ कि धारा 370 और 35-ए हटने के बाद वहाँ क्या माहौल है? जम्मू-कश्मीर में विकास का पहिया घूमा या नहीं?
हमने बताया कि घाटी में शांति है। लोग अपने कामकाज में व्यस्त हैं। आतंकवाद की कमी और चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के फलस्वरूप पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। भीषण ठंड में भी हजारों लोग रोज श्रीनगर की डलझील, गुलमर्ग व सोनमर्ग में बर्फ का आनन्द ले रहे हैं। अब घाटी की स्थानीय लड़कियां/महिलाएं भी खूब बाहर निकलती हैं। परंतु, घाटी का एक वर्ग विशेष धारा 370 हटाने के कारण मोदी से नाराज है। वहीं, स्थानीय लोग दो बड़े विकास कार्यों से खासे प्रसन्न भी हैं। एक, जम्मू-श्रीनगर हाइवे फोरलेन किया जा रहा है।
दूसरा, श्रीनगर को रेलवे से जोड़ा जा रहा है। दोनों प्रोजेक्ट पर बड़ी तेजी से काम हो रहा है। यह फोरलेन बनने के बाद सफर का समय कम हो जाएगा। जम्मू से श्रीनगर की दूरी भी कम हो जाएगी। क्योंकि, कई लम्बी सुरंग बन रही हैं। जबकि जम्मू से श्रीनगर तक रेल सेवा शुरू होने से लोग कम खर्च में घाटी पहुंच सकेंगे। अभी प्राइवेट वाहन यात्रियों से मनमानी रकम वसूलते हैं। कुल मिलाकर लोग राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
चतुरी चाचा ने कहा- आज की युवा पीढ़ी पश्चिम की सभ्यता-संस्कृति अपना रही है। बाजारवाद के चलते रोज कोई न कोई डे मनाया जाता है। आज भी वैलेंटाइन डे मनाया जा रहा है। काश! इन सबको हमारे प्रेम और श्रृंगार से परिपूर्ण बसंत ऋतु के बारे में पता होता। आगामी 16 फ़रवरी को बसंत पंचमी है। विद्या की देवी सरस्वती के पूजन-अर्चन का दिन होगा। पर, आज की युवा वैलेंटाइन के दीवाने हैं। खैर, हमरी तरफ ते सब जने का बसंत पंचमी केरी बधाई पहुँचय। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को एक बार फिर चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!