बेव़फाई का ख़िताब अपनेपन का हिसाब भी वो बेहिसाब दे गयी चंद खुशियाँ दीं लेकिन गम लाज़वाब दे गयी। साथ-साथ जीने मरने के सजाए थे जो सपने तोड़कर के वो सारे के सारे ही ख्वाब दे गयी। सीखकर वो मुझ से इश्क़ की सब बारीकियाँ मुझे ही वो इश्क़ सिखाने ...
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