त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यं दैवो न जानाति, कुतो मनुष्य: अर्थात,जब स्त्री का स्वभाव और पुरुषों के भाग्य के बारे में देवता नहीं जान पाए तो मनुष्य क्या चीज है। हर तीसरी पोस्ट पर स्त्री विमर्श और स्त्रियों के हक में ही लिखा जाता है। स्त्री सम्मान की भावना को लेकर ...
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