सबसे पहले महामंडलेश्वर पद के लिए साधु संत का चयन किया जाता है। चयन करने के बाद उन्हें संन्यास की दीक्षा दी जाती है। यहां संन्यास की दीक्षा का मतलब है कि जिनको महामंडलेश्वर पद के लिए चुना जाता है, उनका उन्हीं के हाथों पिंडदान कराया जाता है। उनके पितरों ...
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