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टीबी के खात्मे में रामबाण साबित होगी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी 

टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोगों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी – डीटीओ

जनपद में जुलाई से क्षय रोगियों के परिवार वालों को दी जाएगी यह थेरेपी

कानपुर। टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। सन् 2025 तक इस रोग से देश को मुक्ति दिलाने का केंद्र सरकार ने संकल्प लिया है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने एक और पहल की है। जिसके तहत तय किया गया है कि जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों को दी जाने वाली टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) अब क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को भी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश में इस प्रीवेंटिव थेरेपी को समस्त जनपदों में तीन चरणों में लॉन्च किया गया है। जनपद कानपुर में इसे दूसरे चरण में अगले माह से यह सुविधा शुरू करने की तैयारी चल रही है।

यह जानकारी दी है जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. एपी मिश्रा ने। उन्होंने बताया -टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) अब क्षय रोगियों के परिवार वालों को भी दी जाएगी। पोषण व भावनात्मक सहयोग उपलब्ध करा रही संस्थाओं के प्रयास सकारात्मक होते भी दिख रहे हैं। क्षय रोगियों के उपचार के साथ ही उनके पोषण में भी सहयोग आवश्यक है। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सामाजिक संगठनों, आमजन, निजी चिकित्सकों तथा अन्य लोगों को समन्वित रूप से आगे आना होगा।

होगा इग्रा व मोंटूक्स टेस्ट : इसी कड़ी में डीटीओ ने बताया- टीबी रोगियों के परिजनों व सम्पर्क में आने वालों का इग्रा (इंटरफेरॉन गामा रिलीज एसेज) व मोंटूक्स टेस्ट भी कराया जाएगा। जांच में किसी व्यक्ति में टीबी लक्षण दिखाई देंगे तो संबंधित का भी उपचार विभाग की ओर से किया जाएगा। उन्होंने बताया- टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) के लिए परिवार के लोगों की पहले स्क्रीनिंग की जाएगी। जांच के बाद डॉट सेंटर द्वारा ही प्रीवेंटिव दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। डॉट सेंटर दवा को लेकर पूरी मॉनिटरिंग और रिपोर्ट जिला क्षय रोग अधिकारी कार्यालय में देंगे।

स्टाफ की हो रही स्क्रीनिंग : जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया टीबी को समाप्त करने के लिये जिला क्षय रोग विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी जुटे हुए हैं। टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) के लिए सभी की स्क्रीनिंग की जायेगी। दरअसल क्षय रोग विभाग का स्टाफ क्षय रोगियों के संपर्क में रहता है, इसलिये स्टाफ को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) देने के लिये प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उन्होंने बताया कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। इसलिए मरीजों के परिवार के लोगों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे पहले पांच वर्ष से कम आयु तक के सक्रिय टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों को कीमोप्रोफ़ाइलिक्सिस थेरेपी दी जाती थी लेकिन अब टीबी मरीज के प्रत्येक संपर्क वाले व्यक्ति को स्क्रीनिंग उपरांत टीपीटी दी जाएगी।

लक्षण दिखे तो कराएं जांच : जिला कार्यक्रम समन्वयक ने बताया कि अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी डीएमसी या टीयू पर टीबी जांच निःशुल्क करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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