मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है।
मधुमेह यानी शुगर या डायबिटीज की बीमारी देश में तेजी से पैर पसार रही है. डायबिटीज एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर उभर रही है. ऐसे में लोग डायबिटीज की दवा (Diabetes Medicine) लेते हैं. कुछ लोग डायबिटीज की एलोपैथिक दवा लेते हैं. लेकिन कुछ लोग जिन पर एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति प्रभावी साबित नहीं हो पा रही है, उनके लिए सरकार आयुर्वेदिक दवाओं को विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है. विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) इस बीमारी से निपटने की तैयारी की समीक्षा का भी समय है. सरकार देश भर में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को बड़े स्तर पर बढ़ावा दे रही है, वहीं विभिन्न सरकारी अनुसंधान एजेंसियां आयुर्वेद और चिकित्सकीय जड़ी-बूटियों के आधार पर आधुनिक दवाएं विकसित करने पर जोर दे रही हैं.
इन्हीं में वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दो प्रयोगशालाएं राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) और केंद्रीय औषधीय और सुगंधित पादप संस्थान (सीआईएएमपी) का ताजा प्रयास भी शामिल है. इन दोनों ने अपने साझा प्रयास से बीजीआर-34 नाम की मधुमेह के उपचार की आयुर्वेदिक दवा विकसित की है. इसे टाइप-2 मधुमेह के प्रबंधन में प्रभावी पाया गया है.
एक बयान में बताया गया है कि आयुर्वेदिक फार्मूले से बनी इस आधुनिक दवा के प्रभाव को वैज्ञानिक आकलन के आधार पर प्रमाणित किया जा चुका है. इस बीमारी के गंभीर मरीजों के इलाज में इस दवा को पूरक औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. ‘ट्रेडिशनल एंड कंप्लीमेंट्री मेडिसिन’ नाम के वैज्ञानिक शोध प्रकाशन में प्रकाशित अध्ययन में भी बीजीआर- 34 को मधुमेह के मरीजों में हृदयाघात के खतरे को 50 फीसदी तक कम करने के लिए प्रभावी पाया गया है.