फ़िरोज़ाबाद। सावन का महीना बरसात के लिए जाना जाता है। रिमझिम बारिश से भीगता बदन लोगों को बरबस ही सावन के महीने की याद दिलाता है। चारों ओर हरियाली दिखाई देती है, लेकिन इस बार नजारा बदला बदला है।
जरूतर से काफी कम हुयी है बरसात
वैसे तो देश के कई हिस्सों में बाढ़ का प्रकोप है लेकिन पश्चिमी यूपी में सूखे की आहट है। सावन के महीने को समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष बचे हैं, लेकिन जरूरत से काफी कम इस बार बरसात हुई है। जानकारों की माने तो अन्य सालों की तुलना में इस बार आधी ही बरसात हुयी है।
खेतों से हरियाली गायब
बरसात का मौषम वैसे तो आषाढ़ माह से शुरू हो जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा बरसात सावन के महीने में ही होती थी। लेकिन इस बार ऐसा नही है साबन के महीने में इस बार काफी कम बरसात हुयी है। जिससे किसान भी परेशान है दरअसल में कुछ फसलें ऐसी है। जो बरसात के पानी पर ही निर्भर करती है जिनमे से फ़िरोज़ाबाद जनपद की मुख्य फसल बाजरा भी है। इसके अलावा खेतों में घास उग आने से किसान और पशु पालकों के सामने चारे का कोई संकट नही रहता था। लेकिन इस बार संभावित सूखे के चलते चारे का भी संकट पैदा होने के आसार प्रवल हो गए है।
नहीं काम आए टोटके
बरसात नही होने से परेशान ग्रमीणों ने टोटके भी किये लेकिन इस बार वह भी काम नही आये और हालात जस की तस बने हुए है। नगला सिंघी इलाके के गांव में दो बालिकाएं बरसात के लिए जप तप भी बैठीं लेकिन बरसात नही हुयी अलबत्ता पुलिस ने उन बालिकाओं को तप करने से जरूर हटा दिया।
रिपोर्ट-अरविंद शर्मा