•सनातन धर्म के नियामक हैं वेद, वैदिक सिद्धांत पर टिका है सनातन
•व्यायाम से ऊपर उठकर योग में जाना होगा
•धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज के नाम पर बने द्वारों ने सबका ध्यान खींचा
लखनऊ। जो सबको अपने में रमण कराए उसका नाम राम है। और, जो सबमें रमण करे उसका नाम है राम। इस लोक में राम से परे कोई तत्व नहीं। राम ही सभी आत्माओं की आत्मा है। रामजी के बिना कोई गति नहीं। श्रीराम अनन्त आनन्द सिन्धु हैं, वह प्रेरक हैं, भोक्ता हैं और भोग्य भी।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के माहात्म्य और चरित्र पर विशद चर्चा करते हुए यह उदगार अयोध्या से आए प्रख्यात रामकथा मर्मज्ञ स्वामी राघवाचार्य महाराज ने व्यक्त किये। वह मोतीमहल लॉन में चल रही श्रीराम कथा के तीसरे दिवस हजारों की संख्या में पधारे कथा जिज्ञासुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का महामणि मण्डप वेदों पर टिका है। सनातन धर्म के नियामक वेद हैं। कहा कि सनातन धर्म वैदिक सिद्धांतों पर टिका है।
स्वामी राघवाचार्य ने अंतर्यामी शब्द का अर्थ बताते हुए कहा, जो अन्तर में बैठकर सबका नियमन करता है वह अंतर्यामी है। उन्होंने कहा कि बाहर की चकाचौंध के कारण अत्यंत सन्निकट होते हुए भी हम उस परमात्मा को जान नहीं पाते। स्वामिश्री ने कहा कि भगवान ने सभी संसाधनों से युक्त यह मानव जीवन हमें दिया है। भगवान की भक्ति करना समस्त शास्त्रों का सार है। भगवान के श्रीचरणों की भक्ति ही सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी है।
स्वस्थ शरीर से स्वस्थ मन और स्वस्थ मन से सभ्य समाज की ऋषियों की परिकल्पना को साकार बनाने के लिए उन्होंने दैनंदिन जीवन में योग को जरूरी बताया और कहा की अष्टांग योग ही वास्तविक योग है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल जिसे योग कहा जा रहा है, वह मात्र व्यायाम है। हमें योग को व्यायाम से बहुत ऊपर उठाना होगा और उसकी पुनः प्रतिष्ठा करनी होगी। उन्होंने कहा कि स्वयं को भगवान से जोड़ लेना ही योग है और योग का फल समाधि है। कथा व्यास ने आर्त, जिज्ञासु, अर्थार्थी और ज्ञानी चार प्रकार के भक्तों का वर्णन करते हुए लक्ष्मण को भगवान राम की आत्मा बताया और कहा कि जो लक्ष्य में अपने मन को लगाये, वही लक्ष्मण है। उन्होंने कहा कि ज्ञानी भगवान को अपनी आत्मा से भी ज्यादा प्रिय होते हैं।
श्रीराम कथा सेवा समिति के सहसंयोजक एवं मंच समन्वयक डॉ सप्तर्षि मिश्र ने बताया कि आज के व्यास पूजन के मुख्य यजमान एडवोकेट शिव कुमार सिंह तथा एडवोकेट संजीव पाण्डेय सपत्नीक थे। समाजसेवी महेश गुप्ता, अनुपमा श्रीवास्तव न्यायाधीश, डॉ राकेश शुक्ल, मनोज मिश्र, धर्मेन्द्र कुमार गुप्ता, धर्मेन्द्र मिश्र, अजय श्रीवास्तव, ज्योतिर्विद आचार्य देव और ललित तिवारी, सुनील यादव न्यायाधीश आदि ने भी आज की श्रीराम कथा महोत्सव में अपनी भागीदारी की।
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उन्होंने बताया कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज सहित विभिन्न ऋषियों के नाम पर बने रामकथा द्वार सभी को आकर्षित कर रहे हैं। कल अपराह्नकाल 3:00 बजे से कथा में सभी को पुनः आमंत्रित करते हुए डॉ मिश्र ने बताया कि कथा का समापन 2 जनवरी को विशाल सन्त सम्मेलन के साथ होगा।