दुनिया को जीवन देने वाले सूर्य पर किसी की नजर न लगे, इस वजह से हर सौ साल में 13 बार बुध ग्रह सूर्य के सामने से निकलते हुए उसके चेहरे का तिल बन जाता है। यह दुर्लभ घटना इस साल 11 नवंबर को होने जा रही है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर के खगोलविद तैयारियां कर रहे हैं। अगली बार यह घटना साल 2032 में ही देखने को मिलेगी। बुध का गोचर इसलिए होता है क्योंकि यह हमारे सौर मंडल के दो ग्रहों में से इकलौता है, जो धरती की तुलना में सूर्य के ज्यादा करीब चक्कर लगाता है। ऐसा करने वाला दूसरा ग्रह शुक्र है, जिसे भारतीय ज्योतिष में भोग-विलास, पत्नी, भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। बुध की कई कक्षाओं में धरती से देखने पर बुध या तो सूर्य के ऊपर से या नीचे से गुजरते हुए दिखता है।
कभी-कभी धरती और बुध की कक्षाएं इस तरह से सामने आ जाती हैं कि बुध धरती और सूर्य के बीच से होता हुआ गुजरता है। जब ऐसा होता है, तो धरती से देखने पर बुध ग्रह तिल की तरह एक छोटे बिंदु के जैसा दिखता है। इसका व्यास सूर्य के व्यास की तुलना में 0.5 फीसद होता है। नासा ने कहा कि धरती पर हमारे नजरिये से हम सिर्फ बुध और शुक्र को सूर्य के सामने से गुजरते हुए देख सकते हैं लिहाजा यह दुर्लभ घटना है, जिसे कोई भी देखने से चूकना नहीं चाहेगा।
सही सुरक्षा उपकरणों के साथ धरती के किसी भी हिस्से पर मौजूद लोग सूर्य के आगे से एक छोटे से बिंदु को धीरे-धीरे गुजरते हुए देख सकेंगे। नासा ने इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि सूर्य को नग्न आंखों से देखने पर यह टेलिस्कोप में बिना सुरक्षा व्यवस्था किए देखने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हो सकता है कि इसकी वजह से किसी की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाए। लिहाजा, सोलर फिल्टर का इस्तेमाल करना न भूलें।
पर्याप्त समय तक दिखेगा नजारा-
यह घटना सोमवार को 11.35 मिनट जीएमटी पर शुरू होगी और करीब 5.5 घंटे तक चलेगी। लिहाजा, इसे देखने के लिए आपके पास पर्याप्त समय होगा। हालांकि, धरती के कुछ हिस्सों जैसे अमेरिका के पश्चिमी तटों पर मौजूद लोग इसे तब तक नहीं देख सकेंगे, जब तक कि सूर्य आकाश में दिखने नहीं लगेगा। शुक्र के गोचर से उलट बुध को ऐसी स्थिति में देखने के लिए आपको सन फिल्टर वाले टेलिस्कोप की जरूरत होगी क्योंकि यह बहुत छोटा ग्रह है। बताते चलें कि शुक्र सहित अन्य ग्रह पर्याप्त बड़े हैं कि उन्हें नग्न आंखों से देखा जा सके।