बिहार में सभी पार्टियों के नेता ‘जिन्न’ याने कि अति पिछडा वर्ग के सहारा सत्तासुख भोगने के सपने देखते रहते हैं. इनमे लालू यादव, नीतिश कुमार और सुशील मोदी सहित अन्य पार्टियों के नेता भी शामिल है. इन कथित ‘जिन्नों’ के बगैर कोई भी पार्टी बिहार में सत्ता सीढी नहीं चढ पाती है. ऐसे में राज्य के चुनावी संग्राम से ठीक पहले राज्य में पोस्टर वॉर तेज हो गया है. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पर एक पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हो गया है.
इस पोस्टर में अलादीन के चिराग वाले ‘जिन्न’ के बहाने लालू यादव पर निशाना साधा गया है. जिन्न इस पोस्टर में लालू यादव से यह कहता नजर आ रहा है कि ‘अब तेरी बातों में नहीं आने वाला.’ पोस्टर में कुछ लोग यह कहते नजर आ रहे हैं, ‘क्या कीजिएगा, जब रखवाले ही चोरी करें, चोरी करके तुमसे ही सीनाजोरी करें.’ पोस्टर पर नारा लिखा है, ‘कहे बिहार सुनो भाई-बहनों, घोटालेबाजों के गुण तीन. मान हरे, धन संपत्ति लुटे और मति ले छीन.’ इस पोस्टर में लालू यादव और शहाबुद्दीन को जेल के अंदर दिखाकर दावा किया गया है कि राज्य में न्याय का राज है.
दरअसल, बिहार की राजनीति में एक समय में ‘जिन्न’ शब्द चर्चा में बना रहता था. लालू यादव अपने इसी जिन्न के भरोसे बिहार की सत्ता पर करीब डेढ़ दशक तक शासन करते रहे. अब लालू यादव राजनीति से दूर हैं लेकिन उनके बेटे तेजस्वी यादव भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए इसी ‘जिन्न फार्म्युले’ पर भरोसा कर रहे हैं. तेजस्वी ने ऐलान किया है कि ‘जिन्न’ को साथ लेकर ही मिशन 2020 संभव होगा. दरअसल, इस ‘जिन्न’ का मतलब अतिपिछड़ों से है जो बिहार के कुल मतदाताओं में करीब 23 प्रतिशत हैं. कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर तेजस्वी यादव ने न सिर्फ ‘जिन्न’ की चर्चा की थी, बल्कि उन्हें पार्टी से जोड़ने की भी वकालत की.