निर्भया केस में दिल्ली हाई कोर्ट के जज सुरेश कैत ने दोषियों की फांसी पर पटियाला हाउस कोर्ट की रोक के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर फैसला सुनाया.
जज सुरेश कैत ने जेल मैनुअल के रुल पढ़ते हुए कहा कि जेल मैनुअल के नियम 834 और 836 के अनुसार के एक ही मामले में एक से ज्यादा सजा पाए दोषियों की अगर याचिका लंबित रहती है तो फांसी टल जाती है, कुछ बातों पर स्पष्टता नहीं है.
‘दोषियों का अपराध जघन्य था’
निचली अदालत ने सभी को एक साथ दोषी ठहराया था, दोषियों का अपराध बहुत क्रूरता और जघन्य था, समाज पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा. लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कानूनी कुछ कानून उपचार उनके भी हैं जिनका उन्हें भरपूर मौका मिला.
‘दोषियों ने खूब समय लिया’
मुझे ये कहने में हर्ज नहीं है कि दोषियों ने खूब समय लिया. 2017 में याचिका खारिज होने के बाद भी डेथ वारंट जारी नहीं किया गया. किसी ने जहमत नहीं उठाई. दोषी मुकेश को अन्य दोषियों से अलग नहीं किया जा सकता. पवन गुप्ता ने अभी तक दया याचिका दाखिल नहीं की.
दोषियों के पास सात दिन का समय
आज से एक सप्ताह के अंदर अगर दोषी किसी कानूनी उपचारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका का निपटारा किया. कोर्ट ने केंद्र सरकार की अलग अलग फांसी पर चढ़ाने की मांग को नहीं माना.
सभी दोषियों को कोर्ट ने एक सप्ताह की मोहलत दी है. जिसको जो भी लीगल रैमेडी का इस्तेमाल करना है, इस एक सप्ताह में कर लें. पवन ने अभी तक दया याचिका दाखिल नहीं की है. कोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के 31 जनवरी के फैसले को सही माना.