दुनिया में लेखनी की क्रांति लाने वाली पेन जिसे लोग Ballpoint बॉलपॉइंट पेन के नाम से जानते हैं ,की शुरुआत आज के ही दिन 10 जून को हुई थी। जून 1943 में जिस यूएस पेटेंट 2,390,636 के मालिक होने का दर्जा बीरो ब्रदर्स को मिला, उसे आज दुनिया बाल प्वाइंट पेन के नाम से पहचानती है।
स्याही और धब्बों से तंग आकर Ballpoint के अविष्कार की नींव पड़ी
बता दें , पत्रकार लैडिसलाव जोस बीरो ने Ballpoint बॉलपॉइंट पेन का अविष्कार किया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक वह फाउंटेन पेन की स्याही और धब्बों से परेशान रहते थे। 29 सितंबर 1899 को हंगरी के बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में जन्में बीरो पेशे से एक पत्रकार, पेंटर और आविष्कारक थे।
1938 को मिला बीरो नाम से पेटेंट
लैडिसलाव जोस बीरो ने आैर ग्योरगी बीरो ने 1931 में बुडापेस्ट इंटरनेशनल फेयर में बॉलपॉइंट पेन का पहला प्रोटोटाइप प्रस्तुत किया। इसके बाद इस पेन को 1938 को बीरो नाम से पेटेंट करवाया था। खास बात तो यह है कि कर्इ देशों में आज भी इस पेन को बीरो के नाम से ही जाना जाता है।
कैसे पड़ी अविष्कार की नींव
एक बार लैडिसलाव जोस बीरो एक प्रेस में गए। वहां उन्होंने देखा कि अखबारों को कितनी कुशलता से मुद्रित किया जाता है आैर इनकी स्याही भी सूख जाती है। वहीं इसके विपरीत फाउंटेन पेन का लिखा काफी देर में सूखता था। वह काफी खुश हुए आैर इस परेशानी का हल निकालने का निश्चय किया।
- लैडिसलाव जोस बीरो ने अपने भार्इ ग्योरगी बीरो की मदद से इस अविष्कार में सफलता पायी।
- उन्होंने एक निब में स्याही की एक पतली फिल्म लगाकर टेस्ट किया।
- निब बॉल के साथ टेस्ट के दौरान उन्होंने देखा की निब का कागज के साथ संपर्क होती तो गेंद घूमने लगती आैर कार्टेज से स्याही प्राप्त करती थी। इससे लिखने का काम काफी अच्छा हुआ आैर उन्हें सफलता मिली।