- Published by- @MrAnshulGaurav
- Saturday, May 28, 2022
ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- राजनीति म मरियादा नाय भंग होय क चही। पद केरी गरिमा बनाए राखय क चही। नेतन का असभ्य अउ असंसदीय भासा ते बचय क चही। विधायक अउ साँसदन का अपन आचरण बहुतै नीक राखय क चही। काहे ते युवा पीढ़ी प नेतन केरे आचरण क्यारु प्रभाव परत हय। विधानसभा अउ लोकसभा म जोकरइ बड़ी खराब लागत हय। सदन म गाली-गलौच, ठुकाई-पिटाई अउ अभद्रता होय ते लोकतंत्र मलिन होत हय। नेतन का सदन केरी गरिमा बनायक राखय का चही। यूपी विधानसभा म उई दिन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अउ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव केर परिसम्वाद यादिन होई सबका। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश ‘बाप’ पर चढ़कर ‘चल हट भक-भक” पर उतरे। आखिरी म योगी बाबा अखिलेश का आड़े हाथन लिहिन।
चतुरी चाचा ने आज अपनी चौपाल वृंदावन के निधिवन के बीचोबीच लगाई थी। वह अपने सभी प्रपंची साथियों के साथ शुक्रवार को ब्रज मंडल का तीर्थाटन करने आये थे। उनकी मंडली में गांव-जवार के कुछ प्रतिष्ठित लोग भी आये थे। चतुरी चाचा ने निधिवन में प्रपंच करने की योजना पहले ही बना ली थी। आज ककुवा, कासिम चचा, मुंशीजी, बड़के दद्दा बड़े प्रसन्न थे। पुरई सबकी सेवा में लगे थे। वहीं, प्रपंचियों को जलपान कराने वाली चंदू बिटिया इस यात्रा में नहीं आयी थी। उसे स्कूल से छुट्टी नहीं मिली थी। इसलिए चतुरी चाचा ने तय किया था कि प्रपंच समाप्त होने के बाद सबको वृंदावन की मशहूर कचौड़ी खिलाकर स्वादिष्ट लस्सी पिलायेंगे।
ककुवा ने प्रपंच का आगाज करते हुए यूपी विधानसभा में अखिलेश यादव व केशव प्रसाद मौर्या की रार को अमर्यादित बताया। उन्होंने कहा- नेताओं को अपना आचरण शुद्ध रखना चाहिए। सांसदों और विधायकों को सदन की गरिमा बनाकर रखनी चाहिए। नेताओं की ‘तू तू मैं मैं’ का युवाओं पर बुरा असर पड़ता है।
इस पर चतुरी चाचा ने कहा- का ककुवा? तुमहुँ कउन विषय लै आयो। कहाँ राम विवाह-कहाँ हिरजन क दुन्द। तुमका भगवान श्रीकृष्ण, मथुरा, भक्त अउ भक्ति केरी बात करय का चही रहय। मुदा, तुम्हरे हिंया आयेक बादिव राजनीति सवार हय। अरे! आजु काल्हि क नेता लोकसभा अउ विधानसभा म अक्सर लड़त-झगड़त हयँ। आपस मा गाली-गलौच, जूतमपैजार करत हयँ। सत्ता पक्ष पय अपन सरकार होय क नशा चढ़ा रहत हय। विपक्ष म हार केरी कुंठा भरी रहत हय। दुनव जनता का द्याखव ख़ातिन भिड़े रहत हयँ। बाकी अंदरखाने म सगरे नेता याक दुसरे क खूब काम करत हयँ। जन मानस केरे मुद्दन पय विचार-विमर्श करय क बजाय अपसय म दिखावटी कटाजुज्झ करत हयँ। विपक्षी सदन म हंगामा करय क ख़ातिन पहिलेन रणनीति बनाय लेत हयँ। जिहते अख़बार अउ टीवी म उनकी खूब खबर चलय। मीडिया वालेन का भाई, उनका तौ चटपटी खबरन क्यार इंतजार रहतय हय।
मुंशीजी ने ब्रज मंडल की बात करते हुए कहा- योगी सरकार ने इस बजट में मथुरा जनपद के सभी तीर्थस्थलों के विकास के लिए करोड़ों रुपये मंजूर किये हैं। अब उम्मीद है कि मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नन्दगाँव, गोवर्धन, कोकिला वन इत्यादि स्थानों को जाने वाली सड़कें बढ़िया हो जाएंगी। इन सभी सड़कों को चौड़ी करके इन पर डिवाडर और मार्ग प्रकाश की व्यवस्था हो जाए। साथ ही, इन सभी तीर्थस्थलों को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। सभी जगह तीर्थयात्रियों के लिए अपेक्षित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। बरसाना के राधारानी मन्दिर और वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर के लिए बेहतरीन कॉरिडोर बनाया जाए। जैसे वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाया गया है।
बड़के दद्दा ने कहा- आप सब लोग कल मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने गए थे। आपको वहां पर मुगल काल में बनाई गई मस्ज़िद देखकर कैसा लगा? क्या यह मस्ज़िद जबरन नहीं बनाई गई थी? क्या इस मस्ज़िद को हिंदुओं की आस्था और भावना को देखते हुए दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है? क्या देश के राष्ट्रवादी मुस्लिम भाइयों को इस प्रकरण में बोलना नहीं चाहिए? मेरे हिसाब से इतिहास में हुई गलतियों और भूलों को ठीक करने की जरूरत है। इस दिशा में हिन्दू और मुस्लिम समाज को मिल बैठकर कोई हल निकालना चाहिए। वैसे भी मुस्लिम धर्म विवादित स्थल पर नमाज़ पढ़ने को सही नहीं मानता है। ऐसे में मुस्लिम समाज को विवादित स्थल पर नमाज पढ़ना खुद ही बन्द कर देना चाहिए। काशी व मथुरा की विवादित मस्जिदों को सहर्ष दूसरी जगह स्थानान्तरित कर लेना चाहिए।
कासिम चचा व शहज़ाद अहमद एक स्वर में बोले- मामला न्यायालय में विचाराधीन है। किसी भी पक्ष को उकसाने वाली बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। दोनों पक्षों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे समाज में वैमनस्यता पैदा हो। अयोध्या का मसला निबट गया है। मथुरा और काशी का मामला भी निबट जाएगा। बाकी हिन्दू हों या मुस्लिम, किसी को भी कट्टरपंथी नहीं होना चाहिए। इस देश में हिन्दू और मुसलमान दोनों को साथ-साथ रहना है। इन्हीं दोनों को देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाना है। मन्दिर-मस्जिद की लड़ाई में युवा पीढ़ी के भविष्य को दांव पर लगाना ठीक नहीं है। हर जगह विवाद पैदा करके समाज की समरसता को भंग किया जा रहा है। यह एक बड़ी साजिश है। हमें इस साजिश को समझना चाहिए। देश का हर मुसलमान न आतंकवादी है और न ही गौकशी करने वाला है। आखिर मुसलमान को शक की नजर से क्यों देखा जाने लगा है। ये नफरत के बीज क्यों बोए जा रहे हैं?
विदेशपाल यादव व विजय यादव ने कहा- मन्दिर-मस्जिद के नाम पर हो रही राजनीति देश को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। भाजपा ने सत्ता के लिए मन्दिर-मस्जिद विवाद को हवा दी है। भाजपा ही नहीं, बल्कि कोई भी राजनैतिक दल हो। समाज को बाँटकर सत्ता हासिल करना ठीक नहीं है। अगर कहीं कोई विवाद है तो उस पर कानून और न्यायपालिका को अपना काम करने दीजिए। इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियाँ सेंकना उचित नहीं है। जनता को बरगलाना सभ्य समाज के लिए हितकर नहीं है।
शिव नारायण सिंह ने कहा- अगर अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत का परचम फहराना है, तो हमें जाति-धर्म, भाषा-क्षेत्र के विवाद से दूर रहना होगा। मन्दिर-मस्जिद का विवाद हर जगह पैदा करना ठीक नहीं है। दो-चार जगह जो विवाद हैं। उनको सर्वसम्मति से हल कर लिया जाए। उसके बाद अन्य किसी स्थान पर नए विवाद को न पैदा किया जाए। ऐसे धार्मिक विवादों से बड़ी हिंसा होती है। जानमाल का भी बड़ा नुकसान होता है। अगर न्यू इंडिया बनाना है, तो मन्दिर-मस्जिद विवाद में पड़ने के बजाय शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, पानी व रोजगार से जुड़े मोर्चे पर काम करना होगा।
मैंने प्रपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 53 करोड़ पांच लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 63 लाख आठ हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अबतक 4,31,47,530 से लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। देश में अबतक 5,24,539 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 193 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। देश के 88.5 करोड़ लोग कोरोना के दोनों टीके लगवा चुके हैं। भारत सरकार द्वारा देश में व्यापक टीकाकरण कराया गया। इसके चलते कोरोना महामारी अब नियंत्रण में है।
अंत में चतुरी चाचा ने शनि जयंती एवं वट सावित्री व्रत की अग्रिम बधाई दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा।