नवनिर्मित मंदिर में श्याम वर्ण के ही रामलला विराजेंगे। कर्नाटक के प्रख्यात मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन कर लिया गया है। सोमवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा की। इसके साथ ही रामलला की अचल मूर्ति को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लग गया।
चंपत राय ने बताया कि अचल मूर्ति के चयन को लेकर पिछली बैठक में सभी 15 ट्रस्टी शामिल हुए थे। 11 ट्रस्टियों को अरुण योगीराज की मूर्ति पसंद आई है। इस आधार पर उसका चयन किया गया। 18 जनवरी को श्यामल रंग के रामलला को नए मंदिर में बने सिंहासन पर स्थापित कर दिया जाएगा।
रामलला की अचल मूर्ति के लिए नेपाल की गंडकी नदी, कर्नाटक, राजस्थान व उड़ीसा के उच्च गुणवत्ता वाले 12 पत्थर ट्रस्ट ने मंगाए थे। इन सभी पत्थरों को परखा गया तो राजस्थान व कर्नाटक की शिला ही मूर्ति निर्माण के लायक मिली। कर्नाटक की शिलाओं पर अरुण योगीराज व गणेश भट्ट ने मूर्ति को आकार दिया, जबकि राजस्थान के संगमरमर की शिला पर सत्यनारायण पांडेय ने मूर्ति बनाई। चंपत राय ने बताया कि तीनों मूर्तियां लाजवाब हैं। इनमें से एक का चयन करना मुश्किल था। फिलहाल अरुण योगीराज की मूर्ति चयनित हुई है। बाकी दो मूर्तियों का भी सम्मान किया जाएगा, इसके बारे में बाद में सोचेंगे।