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ट्रक के टायर बदलकर जिंदगी के सफर को दी रफ्तार, खास है इस महिला मैकेनिक के जीवन की कहानी

महिलाएं इतनी सशक्त हो चुकी हैं कि हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। शस्त्र से साहित्य तक महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है। महिलाएं देश के रक्षा विभाग में हैं तो वहीं डॉक्टर, इंजीनियर और पायलट बन विमान उड़ा रही हैं। ऐसी ही एक महिला हैं, जो कि ट्रक मैकेनिक हैं।

क्या आपने आस-पास कोई महिला ट्रक मैकेनिक देखी है? हो सकता है, न भी देखी हो, क्योंकि यह महिलाओं के लिए कोई सामान्य काम नहीं है। मगर तेलंगाना में कोठागुडेम के गांव सुजाता नगर की रहने वाली 32 वर्षीय येडालपल्ली आदिलक्ष्मी एक ट्रक मैकेनिक है। वह संभवतः तेलंगाना की एकलौती ट्रक मैकेनिक हैं, जो ट्रकों की मरम्मत करती हैं, उनके इंजन को दुरुस्त करती हैं और ट्रकों के भारी-भरकम टायरों को भी बदलती हैं।

ट्रक मैकेनिक बनी महिला

आदिलक्ष्मी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वह मैकेनिक बनेंगी। आदिलक्ष्मी ने यह काम सिर्फ अपने पति वीरभद्रम की मदद करने के लिए शुरू किया था, क्योंकि वीरभद्रम को पैसे कमाने के येडालपल्ली लिए घर से दूर रहकर काम करना पड़ता था।

यहां तक कि जब आदिलक्ष्मी ने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया, तब भी अपने काम की वजह से वीरभद्रम उनके पास नहीं आ पाए, जिस का आदिलक्ष्मी को काफी बुरा लगा। तब उन्होंने सोचा कि वह अपने पति के लिए, गांव में ही ऑटोमोबाइल की दुकान खोलेंगी और उनकी मदद करेंगी, ताकि वीरभद्रम परिवार के साथ रह सकें। आदिलक्ष्मी दुकान पर पति की मदद करती थीं, मगर एक महिला मैकेनिक को देख कई ग्राहक वापस लौट जाते थे। इससे उन्हें निराशा महसूस होती, साथ ही आमदनी भी घट रही थी।

पति के लिए संभाली जिम्मेदारी

फिर अपने पति को पंचर टायरों को ठीक करते देखकर उन्होंने अपने कौशल में सुधार किया। इसी तरह पति की मदद करते-करते वह खुद एक माहिर मैकेनिक बन गईं। उनके इस कार्य के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति ने उन्हें सम्मानित किया और टायर बदलने की मशीन के साथ ही ऐसी मशीनें भी भेंट की, जिनसे उनका काम आसान हो सके।

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