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समाज सेवा का सहज मार्ग

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

निस्वार्थ समाज सेवा का मार्ग कठिन होता है. इसमें सेवा के बदले मेवा की अभिलाषा नहीं होती. अपना समय और संसाधन लगाना होता है. निजी हित की अभिलाषा नहीं होती.इ स कार्य में मान अपमान निंदा प्रशंसा सभी को समभाव से देखना होता है.

किसी की सहायता पर सराहना होती है. किन्तु राहत सामग्री सीमित हो, जरुरतमंदों की संख्या उसके मुकाबले अधिक हो तो आलोचना निंदा का सामना भी करना पड़ता है. लेकिन जिन लोगों में सेवा का सहज भाव होता है, इच्छाशक्ति होती है, वहीं प्रतिकूल परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते. वह सामाज़ के प्रति अपने दायित्व से विमुख नहीं होते है.

लायंस मंडल 321बी वन की मीटिंग में य़ह संदेश दिया गया. समाज सेवा का क्षेत्र व्यापक है. सरकार के ज़न कल्याणकारी कार्यों में सहभागी होना भी सामाजिक संस्थाओं का कर्तव्य होता है. य़ह राजनीति का नहीं, बल्कि समाज का विषय होता है.

सूपोषण, पर्यावरण और जल संरक्षण जैसे अभियानो में संस्थाओं का योगदान होना चाहिए. अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस किसी एक देश का कार्यक्रम नहीं है.

य़ह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित दिवस है. इसका प्रस्ताव प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में किया था. इस पर न्यूनतम समय में सर्वाधिक देशों के समर्थन का कीर्तिमान कायम हुआ था. अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस में भी सामाजिक संस्थाओं को अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए.

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