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भाई दूज पर्व की पौराणिक कथाएं हैं अनेकों, बहनें भाईयों के दीर्घायु के लिए रखतीं हैं व्रत

अयोध्या। दीपावली वाली के बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 14 नवम्बर व 15 नवंबर के दिन पड़ रहा है। भाई दूज मंगलवार के दिन 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 19 मिनट तक है। वैसे हिन्दु धर्म में किसी भी पर्व को मनाने के लिए उदया तिथि शुभ मान जाता है।

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथाएं हैं अनेकों बहनें भाईयों के दीर्घायु के लिए रखतीं हैं व्रत

15 नवम्बर दिन बुधवार को 10 बजकर 40 मिनट से 12 बजे दिन तक शुभ मुहूर्त बताया गया है। क्योंकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवम्बर 2 बजकर 36 मिनट से 15 नवम्बर बुधवार 1 बजकर 47 मिनट तक है) विधि। भाई दूज के दिन बहनें भाइयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं।

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रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज भी भाई बहन का त्यौहार है। इस दिन सभी बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। और साथ ही व्रत भी करती हैं। जिस तरह रक्षाबंधन पर बहनें भाई की कलाई पर धागा बांधती है। उसी तरह भाई दूज के दिन भी बहनें भाइयों को रोली से टीका करती हैं। और मौली बांधती हैं।इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उन्हें नारियल देती हैं।

दीपावली के बाद भाई दूज का पर्व 

अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मान्यताओं के अनुसार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।सभी जगह पर इसे मनाने की अलग अलग मान्यता है। जहां उत्तरी भारत में बहनें भाईयों को तिलक और अक्षत लगाकर नारियल का गोला भेंट में देती हैं।

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तो वहीं कुछ क्षेत्रों में शंखनाद के बाद तिलक लगाकर कुछ भी उपहार देने की मान्यता है।इस दिन बहने अपने भाईयों की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं ।और भाई को भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलती हैं।

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथाएं हैं अनेकों बहनें भाईयों के दीर्घायु के लिए रखतीं हैं व्रत

क्यों मनाया जाता है भाई दूज

भाई दूज पर भाई को तिलक करने के बाद भोजन कराने की धार्मिक मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि जो बहन पूरी श्रद्धा और आदर के साथ तिलक और भोजन कराती है और जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करता है। उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। और यमराज का भय नहीं रहता है। दीर्घायु होने की प्रार्थना करतीं हैं।

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एक यह भी मान्यता है कि यदि कोई भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है। तो वह अकाल मृत्यु से बच सकता हैं। कहा जाता है कि जो भी भाई बहन यह पर्व पूरे विधि विधान से मनाते हैं तो उनकी किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।साथ ही भाई दूज मनाने से बहनों-भाईयों को सुख-समृद्धि, संपत्ति और धन की प्राप्ति होती है.

भाई दूज की पौराणिक कथा

स्कंदपुराण की कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतान थीं।जिसमें बेटा यमराज और बेटी यमुना था। यम पापियों को दंड देते थे। यमुना मन की निर्मल थीं और उन्हें लोगों परेशानी देख दुख होता था। इसलिए वे गोलोक में रहती थीं। एक दिन जब बहन यमुना ने भाई यमराज को गोलोक में भोजन के लिए बुलाया तो बहन के घर जाने से पहले यम ने नरक के निवासियों को मुक्त कर दिया था।

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथाएं हैं अनेकों बहनें भाईयों के दीर्घायु के लिए रखतीं हैं व्रत

वहीं दूसरी कथा के अनुसार भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर का हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गये थे। तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि सुभद्रा की तरह भाई के माथे पर तिलक लगाकर सत्कार करने से भाई बहन के बीच प्रेम बढ़ता है। इस दिन भाई बहन को साथ यमुना में स्नान करने की भी मान्यता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक अपने पापों की माफी मांगने पर यमराज आपको क्षमा कर देते हैं।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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