पिछले दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात ने यूपी का सियासी तापमान बढ़ाया हुआ है.शिवपाल के अगले कदम को समझना इतना भी आसान नहीं है.
वो जिस तरह पिछले 2 दिन से बार-बार सही समय का इंतजार करने की बात कह रहे हैं. उससे साफ है कि वो कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. हालांकि भाजपा भी शिवपाल को साथ लाने पर अभी खुलकर कुछ बोलने का तैयार नहीं हैं.
शिवपाल यादव चुनावी मौसम में भी ऐसे ही धर्मसंकट में दिखाई दे रहे थे. जब तक सपा के साथ उनके गठबंधन का औपचारिक एलान नहीं किया था तब भी उनके ऐसे ही बयान देखने को मिल रहे थे.
शिवपाल सिंह यादव के सामने एक विकल्प ये हैं कि वो जसवंतनगर सीट से इस्तीफा दे दें और अपने बेटे आदित्य को इस सीट से उपचुनाव लड़ाएं. उपचुनाव में वो भाजपा के साथ गठबंधन कर बेटे को मैदान में उतारें.
शिवपाल यादव भाजपा के कोटे से राज्यसभा जा सकते हैं. उत्तर प्रदेश में इस साल 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव है. 4 जुलाई को ये राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं. बेटे को विधानसभा का उपचुनाव लड़वाकर वो राज्यसभा में एंट्री ले सकते हैं.