Breaking News

Ethanol Production के लिए ये हैं भारत सरकार की नई गाइडलाइन, जानें क्या हुआ बदलाव

अब सरकार के द्वारा जारी की नई गाइडलाइन के मुताबिक चिनी मिल्स और डिस्टलरीज को एथेनॉल प्रोसेसिंग के लिए नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट से टेक्नीकल मान्यता लेना जरूरी हो गया है। इसके साथ ही राज्य के एक्साइज डिपार्टमेंट से भी सर्टीफिकेट शेयर करना भी होगा। ऐसा न करने पर एथनॉल प्रोसेसिंग में दिक्कत आ सकती है। आपको बताते चलें ग्रेन, शुगर और जूस से बनने वाले एथेनॉल के लिए अलग-अलग स्टोरेज और सिलोस रखना भी जरूरी होगा। वैक्यूम पैन शुगर फैक्ट्री के लिए दोनों स्ट्रीम में डाइवर्जन और उसका वैलीडेशन भी जरूरी कर दिया गया है।

एथनॉल बनाने के लिए हटाई गई गन्ने पर लगी रोक

सरकार के द्वारा फिर से गन्ने के रस से एथनॉल बनाने के लिए मंजूरी दे दी गई है। आपको बता दें कि सरकार ने आपूर्ति वर्ष 2023-24 में एक बार फिर से चीनी बनाने वाली एथेनॉल से गन्ने के रस और हैवी शिरा दोनों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। आपको बताते चलें कि शीरा बनाने के लिए दी जाने वाली चीनी की अधिकतम सीमा 37 लाख टन तक रखी गई है। आपको बताते चलें की कुछ दिन पहले सरकार के द्वारा चीनी और गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगाने की बात सामने आई थी और इस बात की घोषणा भी की गई थी।

हालांकि उद्योग जगत लगातार सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहा था। आपको बताते चलें की 7 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के द्वारा गन्ने के रस और चीनी सिरप का इस्तेमाल करके एथेनॉल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाने की बात कही गई थी।

आपको बताते चलें कि गन्ने के जूस और चीनी की सिरप से एथेनॉल बनाने पर रोक लगाने का सबसे बड़ा कारण चीनी के प्रोडक्शन में आने वाली कमी था। दरअसल एक आंकड़े के मुताबिक इस बार का चीनी प्रोडक्शन पिछले साल के मुकाबले कम रहने की उम्मीद है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने चीनी और गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी थी। ऐसा इसलिए भी किया गया था ताकि मार्केट में चीनी की सप्लाई बरकरार रहे और चीनी के दाम भी ना बढ़ें। हालांकि उद्योग जगत के बढ़ते दबाव के कारण सरकार को गन्ने के रस और चीनी के शीरे से एथेनॉल बनाने के फैसले पर लगाई गई रोक को वापस लेना पड़ा है।

मक्के से एथेनॉल बनाने का सुझाव

गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगाने के बाद सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए एक और सुझाव दिया। सरकार ने गन्ने के रस की जगह एथेनॉल बनाने के लिए मक्के की फसल पर जोर देने की बात कही। जानकारी के मुताबिक सरकार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मक्के की फसल से कम लागत में एथेनॉल तैयार की जा सकती है। क्योंकि चावला जैसी फसल मक्के के मुकाबले काफी महंगी होती है और इन्हें उगाने में मक्के के मुकाबले ज्यादा खर्चा भी आता है। इसलिए मक्के के इस्तेमाल से किफायती कीमत में बढ़िया क्वालिटी की एथेनॉल तैयार की जा सकती है। हालांकि अभी सरकार ने चीनी और गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर लगी रोक को हटा दिया गया है।

About News Desk (P)

Check Also

‘कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था’, यासीन मलिक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

नई दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के ...