हमारा देश ऋषि-मुनियों की कर्मस्थली रहा है। इसी कारण चार धार्मिक ग्रंथों की रचना की गई। इन ग्रंथों में से एक है यजुर्वेद ग्रंथ जिनकी रचना इन्ही ऋषि-मुनियों द्वारा की गई। इस ग्रंथ में ऐसी-ऐसी वनस्पतियों का वर्णन किया गया है कि इसके उपयोग से मानव में पाई जाने वाले गंभीर रोगों का इलाज किया जा सकता है। ऐसी ही दो वनस्पतियां गूलर और गिलोय का वर्णन किया गया है जिनकी जड़ीबूटियों से कई रोगों का इलाज किया जाता है।
जाने रोग और इलाज:
मधुमेय रोग-
गूलर के फुल को पीस कर पानी के साथ लेने से मधुमेय रोग ठीक हो जाता है। इसके फल से तैयार सब्जी शरीर में मौजूद विषेले तत्व को दूर कर करती है।
खुनी बावसीर-
गूलर के फल को तोड़ कर धुप में सुखाले। सुखने के बाद इसको पीस लें और चीनी के साथ धीरे-धीरे चबायें। ऐसा करने पर खुनी बावसीर ठीक होने लगती है।
संक्रमण से बचाव-
गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम वह तने में स्टार्च होता है। जो इम्युनिटी को बढ़ा कर शरीर को संक्रमीकत होने से बचाता है।
अन्य रोगों में-
गिलोय के रस का सेवन करने से पित्त का बनना, त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, चर्म रोग, कमजोरी, गले का संक्रमण, खांसी, छींक, मलेरिया, डेंगू, टाइल्ड, पेट की बीमारी, छाती में जकड़न, जोडों का दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, लीवर, किडनी, टीबी, डाय, रक्तशोधक, गैस, जैसे रोग दूर हो जाते हैं।