इसलिए बीजेपी नेता दावा करते हैं कि सतारा भी कमलमय है. बीजेपी को उम्मीद है कि शरद पवार व एनसीपी का गढ़ रहे सतारा में इस बार लोकसभा उपचुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी उदयन राजे भोंसले की वजह से पार्टी को भारी सफलता मिलेगी.
आहत हैं शरद पवार
लेकिन एनसीपी अध्यक्ष व मराठा छत्रप शरद पवार सतारा के राजघराने व शिवाजी की विरासत के बीजेपी में चले जाने से बेहद आहत हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के अनेक लोकल नेताओं के विरोध को दरकिनार करते हुए पवार ने फिर से उदयन राजे भोसले को पार्टी उम्मीदवार बनाया व वह जीते भी. लेकिन जीत के महज तीन महीने बाद ही भोसले ने एनसीपी को छोड़कर बीजेपी का झंडा उठा लिया, जिसे पवार पचा नहीं पा रहे हैं.
शिवाजी महाराज का पसंद था सतारा
पुणे से करीब 150 किलोमीटर दूर खूबसूरत पहाड़ियों के बीच व झीलों के किनारे बसे इस शहर को शिवाजी महाराज ने अपना निवास बनाया था. मराठा साम्राज्य की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपनी राजधानी तो रायगढ़ को बनाया, लेकिन रहने के लिए उन्हें सतारा ही पसंद था. रायगढ़ से शिवाजी राजकाज चलाते थे, लेकिन आराम के लिए सतारा आ जाते थे. शिवाजी के बाद उनके वंशजों ने सतारा को ही अपना स्थाई ठिकाना बना लिया था. तब से ही महाराष्ट्र की मराठा पॉलिटिक्स में सतारा की अपनी खास स्थान है.
शिवाजी की 13वीं पीढ़ी के वारिस मौजूदा महाराज उदयन राजे भोसले लगातार तीन बार यहां से लोकसभा के लिए चुने गए. 2014 व 2019 के लोकसभा चुनावों में देश व महाराष्ट्र में भले ही मोदी की आंधी चली हो लेकिन सतारा में शिवशाही का झंडा बुलंद रहा व उदयन राजे चुनाव जीते.
कांग्रेस-एनसीपी राज में नहीं हुआ सतारा का भला
लेकिन विधानसभा चुनावों से महज कुछ दिन पहले ही आकस्मित उदयन राजे का मन बदला व उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की व लोकसभा से भी त्याग पत्र दे दिया. महाराज के पाला बदलते ही सतारा का रंग भी बदल गया. सतारा में उदयन राजे भोसले से मुलाकात होती है. लोकसभा का उपचुनाव बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे भोसले कहते हैं कि उन्हें किसी दल या किसी नेता से कोई मतलब नहीं है. उन्हें सिर्फ सतारा की जनता व इस इलाके के कल्याण व हितों से ही मतलब है.
भोसले कहते हैं कि उन्होंने एनसीपी-कांग्रेस को को बहुत मौका दिया कि क्षेत्र के विकास के कामों को आगे बढ़ाए, लेकिन 15 वर्ष के कांग्रेस पार्टी एनसीपी राज में कुछ भी नहीं हुआ, जबकि वह बराबर इसके लिए आवाज उठाते रहे. लेकिन पिछले पांच वर्षों में जब केन्द्र व प्रदेश में बीजेपी सरकार आई, उनकी हर बात सुनी गई व विकास के बहुत ज्यादा कार्य हुए. इसलिए उन्होंने एनसीपी छोड़ने व बीजेपी में शामिल होना तय किया.
महाराज के पीछे है जनता
महाराज के साथ चल रहे लोगों से बात करने पर पता चला कि उनकी सबकी निष्ठा किसी दल विशेष के लिए नहीं शिवाजी महाराज के इस वारिस के लिए ही है. सतारा के रहने वाले राजू जाधव का बोलना है भोसले महाराज व उनका परिवार आज भी शिवाजी की परंपरा के वाहक हैं व इलाके के लोगों के लिए हमेशा उनके दरवाजे खुले रहते हैं. इसलिए जिधर महाराज चल देते हैं जनता भी उधर ही चल देती है. आगे यही बात लक्ष्मण जाधव व संजय माने भी दोहराते हैं. संजय माने कहते हैं कि वैसे भी बीजेपी व मोदी की हवा चल रही है, महाराज के इसमें जुड़ जाने से बीजेपी व मजबूत हो गई है.
एनसीपी ने राजघराने के खास श्रीनिवास पाटिल को उतारा
लेकिन शरद पवार ने भी इस लोकसभा उपचुनाव को अपनी सियासी प्रतिष्ठा का मामला बना लिया है व उन्होंने अपने खास मित्र श्रीनिवास पाटिल को मैदान में उतारा है. पाटिल का सतारा राजघराने से भी बेहद करीबी रिश्ता रहा है व वह उदयन राजे भोंसले के पिता के मित्र रहे हैं. खुद उदयन राजे यह मानते हैं कि मुकाबले में उनके पिता के दोस्त हैं, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि सतारा की जनता अपना विश्वास उन्हें ही देगी. पुराने कांग्रेसी व अब होटल व्यवसायी विजय यादव भी मानते हैं कि सतारा में शिवाजी के वंशज को हराना किसी के लिए मुमकिन नहीं है. क्योंकि महाराज उदयन राजे भोंसले की ईमानदारी व लोकप्रियता शक से परे है.