पश्चिम बंगाल में भाजपा ने ई बार पोरिवर्तन का नारा दिया है। यह कितना सफल होगा,यह देखने के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। फिलहाल परम्परागत सेक्युलर सियासत में परिवर्तन अवश्य दिखाई दे रहा है। ज्यादा समय नहीं हुआ जब एक पार्टी के प्रवक्ता ने अपने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष को जनेऊ धारी ब्राह्मण घोषित किया था।
अब इसी तर्ज के सेक्युलर लोग पश्चिम बंगाल के मंच से अपने को हिन्दू बताया जा है,अपना गोत्र सार्वजनिक किया जा रहा है। कुछ वर्ष पहले इस खेमे में ऐसी बातें भी गुनाह थी। सेक्युलर होने का दायरा निर्धारित था। इसके अंतर्गत वर्ग विशेष की बात हो सकती थी। भारत के संसाधनों पर उनका पहला हक बताया जा सकता था,ऐसा कहने वाले उस समय प्रधानमंत्री थे।
लेकिन हिन्दू शब्द को साम्प्रदायिक माना गया। इस सेकुयलर सीमा में अयोध्या जन्म भूमि पर श्री राम मंदिर निर्माण के मार्ग में अवरोध थे, श्री राम सेतु काल्पनिक था,अनुच्छेद तीन सौ सत्तर का समर्थन अनिवार्य था,तीन तलाक की कुप्रथा पर चर्चा नहीं हो सकती थी। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी के बीच सीधा मुकाबला है।
यहां चुनाव प्रचार के अंतिम दिन ममता बनर्जी का नया रूप देखने को मिला। पहले वह जय श्री राम के उद्घोष से नाराज हो जाती थी। इस बार उन्होंने अपने को लोगों को अपना गोत्र बताया। नंदीग्राम के संग्राम की शुरुआत में ही ममता ने जनसभा के दौरान चंडीपाठ सुनाया था।
उन्होंने कहा मैं त्रिपुरा के त्रिपुरेश्वरी मंदिर गई थी। वहां पुरोहित ने पूछा गोत्र पूंछा था। तब ममता ने कहा था कि मां माटी मानुष मेरा गोत्र है। नन्दी ग्राम में पुजारी ने यही पूंछा। तब ममता ने गोत्र शांडिल्य बताया। नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद जब ममता यहां पहले औपचारिक दौरे पर पहुंची तब उन्होंने चंडीपाठ सुनाया था। अपने को ब्राह्मण परिवार की बेटी तक बताया था। यहां नामांकन भरने से पहले उन्होंने शिवजी के मंदिर में पूजा अर्चना की। वह पैदल ही मंदिर पहुंची थीं। इसके साथ ही दुर्गा मंदिर,काली मंदिर से कई धार्मिक स्थलों पर गई थी।
उन्होंने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री सहित भाजपा के अनेक नेताओं को बाहरी बताया था। नन्दीग्राम में यही आरोप उन पर लगाया गया। इसलिए आनन फानन में उन्होंने यहां किराए का दो घर लिये। ये घर नंदीग्राम के रेयापाड़ा इलाके में हैं। ममता ने खुद यह ऐलान भी किया कि वह जल्द ही नदी के किनारे अपना पक्कान मकान बनाएंगी। यह वादा किया कि वह यहां की यात्रा करती रहेंगी। जाहिर है कि नन्दीग्राम के प्रति भी ममता बनर्जी में पूरा आत्म विश्वास नहीं है। शुभेंदु अधिकारी ने जब उनका साथ छोड़ा था,तभी उन्होंने ममता बनर्जी के विरुद्ध चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
ममता बनर्जी ने सोच समझ कर नन्दी ग्राम का चयन किया था। शुभेंदु अधिकारी यहां चुनाव लड़ने पहुंच गए। जिस प्रकार प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है। उसे कहीं भी बाहरी नहीं कहना चाहिए। उसी प्रकार मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है। उसे प्रदेश में कहीं से चुनाव लड़ने के लिए किराए पर घर लेने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। ममता पर नन्दी ग्राम में बाहरी होने का आरोप तब लगा जब उन्होंने प्रधानमंत्री केंद्रीय गृह मंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बाहरी बताया था। दूसरी तरफ भाजपा अपने मूल विचार पर कायम है।
सबका साथ सबका विकास तुष्टिकरण किसी का नहीं। भारतीय संस्कृति में किसी कार्य के शुभारंभ को श्री गणेश भी कहते है। क्योंकि वह प्रथम पूज्य है। भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ देश के प्रत्येक हिस्से में चुनावी भाषण की शुरुआत वंदेमातरम व भारत माता के उद्घोष से करते है। जबकि वंदेमातरम से सेक्युलर मोर्चे को परहेज रहता। योगी आदित्यनाथ यह भी कहते है कि वह श्री राम श्री कृष्ण के अवतार स्थान व भोलेनाथ की नगरी काशी से आये है। उनकी इस बात पर उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक जय श्री राम के उद्घोष होते है। लोग जन्मभूमि पर श्री राम मंदिर निर्मांण पर प्रसन्नता व्यक्त करते है।
वस्तुतः योगी आदित्यनाथ यह दिखाना चाहते है कि विविधता के बाद भी भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में एकता का भाव है। यही एकता हमारे तीर्थ स्थलों पर दिखाई देते है। जहां अलग अलग भाषाओं को बोलने वाले लोग समान रूप से भक्तिभाव में दिखाई देते है। तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के पूर्व ऐतिहासिक गणेश मंदिर में पूजा अर्चना की थी। इसके बाद उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। वह रोड शो में भी सम्मलित हुए। योगी को देखने सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। उन्होंने यहां एनडीए उम्मीदवारों को विजयी बनाने का आह्वान किया। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक व भाजपा का गठबंधन चुनाव में है। जय ललिता भी भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था रखती थी।
उनके प्रतिद्वंदी द्रमुक नेताओं ने श्री राम सेतु को काल्पनिक बताने के यूपीए सरकार के विचार का समर्थन किया था। जबकि जय ललिता ने इसका विरोध किया था। उनकी विरासत को वर्तमान पार्टी नेतृत्व आगे बढ़ा रहा है। इस आधार पर भाजपा उनकी स्वभाविक सहयोगी है। योगी आदित्यनाथ ने विकास के साथ ही संस्कृति के महत्व को भी रेखांकित किया। उनकी श्री गणेश पूजा का भी यही सन्देश था। उत्तर भारत के लोग दक्षिण ने मंदिरों में पूजन के लिए आते है। दक्षिण के लोग काशी आते है। यही भारतीय संस्कृति का एकता भाव है। भाषा क्षेत्र अलग है,लेकिन राष्ट्रीय तत्व व भावना एक जैसी है। योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर है। दक्षिण भारत में भी इस पीठ के मंदिर है,इनको मानने वाले बड़ी संख्या में है।
इस रूप में भी योगी आदित्यनाथ की यहां पहचान है। इसके पहले योगी आदित्यनाथ ने तमिलनाडु कोयंबटूर के निकट पुलियाकुलम श्री मुंथी विनायक महागणपति मंदिर में पूजन किया। श्री गणेश जी की यह प्रतिमा एशिया में सबसे वजनी देव प्रतिमा है। इसका वजन एक सौ चालीस क्विंटल है। यह प्रतिमा बीस फीट ऊंची और ग्यारह फीट चौड़ी है।ममता बनर्जी की तरह ही कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी चुनाव से पहले भक्तिभाव का प्रदर्शन करता है। यह सब परिवर्तन पिछले कुछ वर्षों से दिखाई दे रहा है। पंथ निर्पेक्षता आडंबर नहीं है। अपने निजी धर्म का पालन करना किसी का मजहब के आधार पर तुष्टिकरण ना करना ही पंथ निरपेक्षता है। इसी विचार को सेक्युलर नेताओं ने विकृत किया था। लेकिन इसमें सुधार केवल चुनाव प्रचार की अवधि तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।