समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार अपनी नाकामी के नए रिकार्ड बना रही है। पूरे तीन साल बीत गए वह अपनी एक भी जनहित की योजना लागू नहीं कर पाई जो समाजवादी सरकार की योजनाएं थी उन्हीं में हेरफेर करके या नाम बदलकर अपने दिन काट रही है। प्रदेश में वह बड़े-बड़े बजट पेश करने के दावे कर रही है किन्तु उसमें आंकड़ेबाजी के अलावा कुछ नहीं है। भाजपा सरकार नया बजट लाई तो यह नहीं बता पाई कि पिछले बजट के कितने काम पूरे हुए और कितनी धनराशि खर्च हुई? इस पर भाजपा सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए जिससे जनता की जानकारी में यह स्पष्ट हो सके कि किस विभाग में कितना काम हुआ और पिछले बजट की कितनी धनराशि अवशेष है?
अभी पिछले दिनों नगर विकासमंत्री ने जब समीक्षा की तो पाया कि वर्ष 2019-20 के बजट में उनके विभाग के लिए 1989.19 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया था। इसमें उनका विभाग 11 महीनों में 45 फीसद धनराशि खर्च ही नहीं कर पाया। तमाम प्रस्ताव लम्बित रहे और नए प्रस्ताव नहीं बन पाए। अब उन्होंने अंतिम महीने में अधिक से अधिक धनराशि जारी करने के निर्देश दिए है। एक तरह से यह विभागीय आपाधापी के लिए खुली लूट की छूट देने जैसे होगा।
दुनिया में कोरोना वायरस का आंतक है। हजारों मौते हो चुकी है। हिन्दुस्तान में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार आंधी में शुतुरमुर्गी चाल अपनाने का ही मन बनाए हुए है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए न तो अभी तक अस्पतालों को संक्रमण मुक्त करने और संक्रमित रोगियों के अलग उपचार की सुचारू व्यवस्था तक नहीं की गई है। कानपुर के उर्सला अस्पताल में तो वार्ड ही बंद कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग का बजट भी खुर्द-बुर्द कर दिया गया।
भाजपा का अमानवीय एवं जनविरोधी रवैया मुखर होकर उजागर हुआ है। विकास और जनहित उसके एजेंडा में ही नहीं है। केवल सत्ता के स्वार्थ साधन में ही भाजपा की रूचि है। पता नहीं भाजपा सरकार का ऐसा रवैया क्यों है? सरकारों का लक्ष्य कल्याणकारी राज्य होना चाहिए परन्तु लगता है कि भाजपा इससे पूर्णतया अपरिचित है।