Breaking News

छत्तीसगढ़ के NCP नेता की हत्या मामले में ‘सुप्रीम’ फैसला, दो की आजीवन कारावास की सजा निलंबित; जमानत दी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता राम अवतार जग्गी की 2003 में हुई हत्या के मामले में दो दोषियों की आजीवन कारावास की सजा मंगलवार को निलंबित कर दी। दरअसल, छत्तीसगढ़ में दिवंगत विद्याचरण शुक्ला के नेतृत्व वाली एनसीपी के कोषाध्यक्ष जग्गी की चार जून को गाड़ी चलाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच हुई थी।

पदयात्रा में धीरेंद्र शास्त्री पर मोबाइल से हमला… बाबा के गाल पर लगा फोन

छत्तीसगढ़ के NCP नेता की हत्या मामले में 'सुप्रीम' फैसला, दो की आजीवन कारावास की सजा निलंबित; जमानत दी

कौन थे रामावतार जग्गी?

कारोबारी परिवार के रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में एनसीपी का कोषाध्यक्ष बना दिया था।

जग्गी हत्याकांड का मुख्य आरोपित याहया ढेबर रायपुर के ढेबर बंधुओं में से एक है। पांच भाइयों में एजाज ढेबर रायपुर के मौजूदा मेयर हैं। वहीं एक भाई अनवर ढेबर शराब कारोबारी है। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में ईडी ने उसे छह मई, 2023 को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

28 लोगों की सजा को रखा बरकरार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को जग्गी की हत्या के मामले में शामिल होने के लिए 28 व्यक्तियों की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।

Please watch this video also

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मंगलवार को एक दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी सहित विभिन्न वकीलों की दलीलें सुनीं। पीठ ने सजा निलंबित करने और दोषी याह्या ढेबर को जमानत देने की याचिका खारिज कर दी।

हालांकि, अदालत ने बाद में जमानत दे दी और दो दोषियों अभय गोयल और फिरोज सिद्दीकी की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी।हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ और जमानत की मांग करने वाली 14 याचिकाओं पर विचार कर रही पीठ ने कहा कि अन्य याचिकाओं पर नौ दिसंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में सुनवाई की जाएगी।

सीबीआई को सौंपी गई थी जांच

हत्या के मामले की जांच शुरू में राज्य पुलिस ने की थी। हालांकि, बाद में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में सीबीआई की जांच में भाड़े के अपराधियों, पुलिस की मिलीभगत और असली दोषियों को बचाने के लिए धोखेबाजों को फंसाने की कोशिश की गहरी साजिश का खुलासा हुआ।

About News Desk (P)

Check Also

Lucknow Municipal Corporation: त्रिवेणी नगर और फैजुल्लागंज क्षेत्र का निरीक्षण, सफाई को लेकर अपर नगर आयुक्त ने दिए कड़े निर्देश

लखनऊ। नगर निगम की अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह (Additional Municipal Commissioner Namrata Singh) ने ...