महापर्व छठ के तीसरे दिन आज रविवार को व्रती लोग डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे।आज के दिन छठी मइया की पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है और शाम को सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।इससे पहले दूसरे दिन छठ व्रती महिलाओं ने शाम को मिट्टी के चूल्हे पर खीर और पूरी का प्रसाद तैयार किया।
लेकिन अर्घ्य देने से पूर्व घाट पर सायं काल में बांस की टोकरी में छठ पूजा में शामिल सभी पूजा सामग्री, फल और पकवान आदि को अर्घ्य के सूप में सजाया जाता है और इसके बाद अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देता हैं। छठ के प्रसाद से भरे हुए सूप से छठी मइया की पूजा की जाती है।
छठ पूजा: संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का तीसरा दिन ( 30अक्तूबर 2022)
(संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय: सायं 5:38 पर
आपके शहर में सायंकालीन अर्घ्य का मुहूर्त
शहर संध्या अर्घ्य का समय
दिल्ली सायं 05:38 मिनट पर
कोलकाता सायं 05:00 बजे
पटना सायं 05: 10 मिनट पर
रांची सायं 05:12 मिनट पर
लखनऊ सायं 05:25 मिनट पर
रायपुर सायं 05:29 मिनट पर
देहरादून सायं 05: 32 मिनट पर
नोएडा सायं 05: 37 मिनट पर
वाराणसी सायं 05:19 मिनट पर
सूर्य देव को अर्घ्य देने की विधि
छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मइया की पूजा की जाती है। षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस के डाले और सूप में रख लें। अब डाला लेकर नदी, तालाब या किसी घाट पर जाएं। इसके बाद नदी, तालाब, घाट या किसी जल में प्रवेश करके मन ही मन सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें। अब ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्य को अर्घ्य देते समय “एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर” मंत्र का उच्चारण करें। अब ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
भगवान को भोग लगाने के बाद सबसे पहले व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया गया। जो कि सप्तमी के दिन उदीयमान भास्कर देव को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। पूर्वांचल जनजागृति संस्था के संरक्षक कमलेश्वर मिश्रा ने बताया कि छठ के व्रत में सफाई और स्वच्छता का बहुत महत्व है।